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IGIMS के 200 डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर उठा सवाल.

:पटना हाईकोर्ट में खुला राज, तलब किए गए एक्सपर्ट; बीमार हो गए प्रिंसिपल

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार के प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में 200 डॉक्टरों की नियुक्ति का सनसनीखेज मामला सामने आया है.दो डॉक्टर का मामला जब पटना हाईकोर्ट में पहुंचा तो ये खुलासा हुआ.सुनवाई के दौरान एक भी कंप्लीट डॉक्यूमेंट्स नहीं मिला. अब नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल है, जिस पर तैनात लगभग 200 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं.कोर्ट ने IGIMS के एक्सपर्ट को तलब किया है. अगली सुनवाई 23 जनवरी को है.

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के अलग अलग विभागों में लगभग दो सौ डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर वर्ष 2018 में विज्ञापन निकाला था. प्रक्रिया पूरी की गई और डॉक्टरों की बहाली कर दी गई. डॉक्टरों की एक कड़ी फंस गई, वह थी डॉक्टर पवन की नियुक्ति. डॉक्टर पवन नियुक्ति के पूर्व से संविदा पर संस्थान में सेवा दे रहे थे. डॉक्टर पवन के साथ संविदा पर काम कर रहे कई डॉक्टरों की नियुक्ति कर दी गई, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया.सामान्य कैंडीडेट्स डॉक्टर पवन अक्टूबर 2018 में पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिए. नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए दायर की गई याचिका पर सुनवाई 2021 में हुई.

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने जिस प्रक्रिया के तहत नियुक्ति की है वह अब सवालों के घेरे में है. डबल बेंच ने सुनवाई के दौरान कई ऐसे मामले आए, जिसमें सवाल खड़े हुए हैं. इस घटना से उसी विज्ञापन के तहत नियुक्ति लगभग 200 डॉक्टरों की नियुक्ति पर सवाल है. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान से जुड़े सूत्रों की माने तो विज्ञापन से लेकर नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया अब सवालों में है. IGIMS के ऐसे वरिष्ठ पदाधिकारी को हाजिर होने को कहा है जो नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल रहे.

नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया तत्कालीन निदेशक डॉ. एन आर विश्वास के समय में हुई थी, जो पूर्व में भी विवादों के घेरे में रहे हैं. पटना हाईकोर्ट में IGIMS के एक्सपर्ट को बुलाए जाने को लेकर अब हड़कंप है, सूत्रों की माने तो हाईकोर्ट में प्रिंसिपल को भेजने की तैयारी थी, लेकिन उनकी सेहत शुक्रवार को अचानक खराब हो गई. उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है. सूत्र बताते हैं कि उन्हें तकलीफ के बाद अपने ही संस्थान में इलाज कराया जा रहा है.अब 23 जनवरी को सुनवाई के दौरान ही तस्वीर साफ होगी कि संस्थान की पूरी नियुक्ति प्रक्रिया कितनी पारदर्शी हैं. इस विज्ञापन से नियुक्त डॉक्टरों को किस तरह से राहत मिल सकती है. डॉ पवन कुमार का कहना है कि उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा हैं.

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