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दो पीढ़ी के बाद दलित को भी नहीं मिले आरक्षण, गरीब सवर्ण के लिए हो आरक्षण की व्यवस्था

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सिटी पोस्ट लाइव : आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है. आरक्षण का आधार क्या हो इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर सियासी गलियारों में बहस छिड़ी हुई है.एक तरफ सवर्ण को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की मांग उठ रही है वहीं दलितों के आरक्षण का आधार क्या हो उसके ऊपर बहस हो रही है. शुक्रवार को बीपी मंडल की जयंती पर आरक्षण को लेकर खूब राजनीति हुई. बीजेपी के सीनियर लीडर और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर ने एक बार फिर से दलित आरक्षण पर बोलते हुए कहा कि दलितों को बस 2 पीढ़ी तक ही आरक्षण मिलना चाहिए. दलित आईएएस के बेटे को भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

गौरतलब है कि प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी बहस चल रही है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भी इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि नौकरी की शुरुआत में आरक्षण का नियम तो ठीक है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेकर राज्य का मुख्य सचिव बन जाता है तो क्या यह तर्कसंगत होगा कि उसके बच्चों को पिछड़ा मानकर प्रोन्नति में आरक्षण दिया जाए और जिससे परिणामी वरिष्ठता भी मिलती हो?. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 2006 के एम. नागराज फैसले को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ को भेजे जाने की जरूरत पर सुनवाई कर रहा है.

गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर सीपी ठाकुर पहले भी कह चुके हैं कि जब दलित समाज का व्यक्ति सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच चुका है, तो अब आरक्षण को समाप्त कर देना चाहिए.डॉक्टर सीपी ठाकुर ने कहा कि अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलित समाज के व्यक्ति को राष्ट्रपति बना दिया दै तो ये आरक्षण को समाप्त करने का अच्छा समय है.डॉक्टर सीपी ठाकुर ने सवर्णों को भी आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की वकालत करते हुए कहा कि गरीब सवर्ण हैं, उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिलाना चाहिए.सीपी ठाकुर ने कहा कि सवर्णों की हालत बहुत खराब है. अगर केंद्र सरकार ने उनके लिए तत्काल कोई कदम नहीं उठाया तो देश में नई समस्या खड़ी हो सकती है.

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