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एमसीडी चुनाव के नतीजों के राजनीतिक मायने.

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सिटी पोस्ट लाइव : आज गुरुवार को गुजरात, हिमाचल विधानसभा चुनावों के नतीजे आने हैं. जिस तरह से दिल्ली एमसीडी चुनाव के नतीजे चुनावी सर्वे के उल्ट आये हैं ,गुजरात और हिमाचल के चुनावी सर्वे पर भी संदेह होने लगा है.गौरतलब है कि ज्यादातर सर्वे के अनुसार गुजरात और हिमाचल में बीजेपी की सरकार बन रही है. दिल्ली एमसीडी चुनाव के एग्जिट पोल के मुताबिक, आम आदमी पार्टी बीजेपी का सूपड़ा साफ करने वाली थी. लेकिन बीजेपी मजबूत विपक्ष बनकर आने में सफल रही. 15 साल से बीजेपी का एमसीडी पर कब्जा था.

2014 के बाद से ही जहां लगभग पूरे देश में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी का डंका बज रहा है, वहीं दिल्ली में केंद्रीय सत्ता की नाक के नीचे आम आदमी पार्टी अपनी बीन बजाए जा रही है. यहीं से केजरीवाल का दिल्ली मॉडल चर्चा में आ रहा है. इसी मॉडल की वजह से कुछ समय पहले पार्टी ने पंजाब में कांग्रेस को हराकर जीत दर्ज की थी, जहां बीजेपी की राजनीतिक ताकत बहुत कम है.दिल्ली मॉडल को ही लेकर आम आदमी पार्टी हिमाचल और गुजरात में उतरी है, जिसका परिणाम 8 दिसंबर को आएगा.

केजरीवाल के कथित दिल्ली मॉडल का वैसा जादू नहीं है, जैसा आम आदमी पार्टी दावा करती है, ये साबित करने का मौका बीजेपी ने गवां दिया है. चाहे कथित शराब घोटाले की बात हो या सत्येंद्र जैन को जेल में मिली सुविधाओं का सवाल या फिर यमुना की सफाई का मसला, ऐसा लगता है कि दिल्ली के मतदाताओं ने इन सबके बजाय आम आदमी पार्टी को एमसीडी में गुड गवर्नेंस का कमाल दिखाने का मौका देना ज्यादा महत्वपूर्ण माना. यह वोटिंग बिहेवियर के उसी पैटर्न की पुष्टि है, जिसके तहत दिल्ली में लोकसभा चुनावों में मोदी और विधानसभा में केजरीवाल के नाम पर वोट पड़ते देखे गए हैं. यह दोनों नेताओं की छवि की अलग-अलग तरह से मतदाताओं द्वारा पुष्टि भी है. इसका मतलब यह है कि गवर्नेंस लेवल पर दोनों नेताओं की अपनी साख है और एक ही वोटर इन दोनों को पसंद कर रहा है.

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