सिटी पोस्ट लाइव : उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के पहले वाले बीजेपी और जेडीयू गठबंधन आमने सामने हैं. बीजेपी के साथ चुनावी समझौता फेल होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विशेष रणनीति बनाने में जुट गए हैं.अब JD (U) ने ये फैसला किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ चुनाव प्रचार करने की बजाय उनके खिलाफ प्रचार करने के लिए मैदान में उतरेगें.
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने शनिवार को दिल्ली में चुनाव के लिए 26 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है.पार्टी ने केंद्रीय इस्पात मंत्री आर. सी. पी. सिंह की ओर से भाजपा आलाकमान के बीच बातचीत विफल होने के बाद चुनाव के लिए 51 उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिया. सिंह को जद (यू) द्वारा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और धर्मेंद्र प्रधान के साथ बातचीत करने के लिए अधिकृत किया गया था, हालांकि वह इसमें विफल रहे.
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के मद्देनजर, नीतीश कुमार का रुख, जो 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों से पहले पीएम मोदी के आलोचक थे, देखने लायक होगा, खासकर डीएनए वाले मुद्दे पर, जिस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कटाक्ष किया था. 25 जुलाई, 2015 को बिहार के मुजफ्फरपुर में परिवर्तन रैली के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने कुमार पर हमला करते हुए कहा था, उनके (नीतीश कुमार) डीएनए में कुछ समस्या है, क्योंकि राजनीति का डीएनए ऐसा नहीं है. नीतीश कुमार ने पलटवार करते हुए कहा था, मैं बिहार का बेटा हूं और मेरा डीएनए राज्य के लोगों जैसा है। वर्तमान में, भाजपा और जद (यू) बिहार सरकार में क्रमश: 74 और 45 सीटों के साथ गठबंधन सहयोगी हैं.
यूपी में 7 चरण मे चुनाव होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश में सात चरणों में 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, तीन मार्च और सात मार्च को वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी. अब देखना ये है कि तेजस्वी यादव ,मुकेश सहनी और नीतीश कुमार किस हदतक यूपी में बीजेपी का खेल बिगाड़ पाते हैं.उत्तर प्रदेश चुनाव नतीजे का बिहार की राजनीति पर बहुत खास प्रभाव पड़नेवाला है.
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