सिटी पोस्ट लाइव : पटना में करीब दस माह के बच्चे अयांश के इलाज के लिए अपने गुल्लक के पैसे देकर बक्सर के सात वर्षीय बच्चे ने मिसाल पेश की है। कोरोना महामारी में गरीबों की मदद में प्रत्युष ने अपनी गुल्लक में जमा पैसे गरीबों को सौंप दिए थे। अब अयांश के इलाज के लिए प्रत्युष ने गुल्लक में इकट्ठा किये गए दो हजार सत्तर रुपये डोनेट किये हैं। गौरतलब है कि पटना के रहने वाले आलोक और नेहा ने अपने बेटे अयांश के इलाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मदद की गुहार लगाई है। अयांश को दुर्लभ बीमारी है।
जिसका इलाज सिर्फ एक इंजेक्शन है। लेकिन सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि यह कोई आम इंजेक्शन नहीं है। इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपए है। शहर के ज्योति चौक निवासी व्यवसायी मिथलेश पांडेय के पुत्र डीएवी पब्लिक स्कूल में वर्ग एक के छात्र ने अपने पैसे अयांश के लिए डोनेट किया है। ये भले ही छोटी सी रकम है लेकिन इस बच्चे ने जो गुल्लक का पैसा अयांश के लिए दिया है। वो एक मिसाल है। ये उस मां की आवाज को सरकार तक पहुंचने का प्रयास है। जिससे उस मासूम की जिंदगी बचाई जा सके।
बता दें बेंगलुरु के एक हॉस्पिटल में टाइपोरोनिया सीपी डिटेक्ट किया गया. डेढ़ माह तक बेंगलुरु में रहकर इलाज कराया, लेकिन इससे भी लाभ नहीं हुआ. इस दौरान 16 लाख से अधिक खर्च हो गया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. जब हालत बिगड़ने लगी तो बेंगलुरु के एनआईएमएचएएनएस में अयांश का इलाज कराया गया. डॉक्टरों को एसएएम बीमारी की आशंका हुई और जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई. अब एसएमए के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये के एक इंजेक्शन की कहां से व्यवस्था की जाए इस सोच से परिजन परेशान हैं.
हालांकि अभीतक कई लोगों से अयांश की मां नेहा सिंह और पिता आलोक सिंह गुहार लगा चुके हैं। बिहार के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री से लेकर पीएम मोदी से भी अपने बच्चे की जिंदगी की भीख मांग चुकी है। लेकिन अबतक कोई सहायता नहीं मिली है। हालांकि कई लोगों ने अपने अपने हैसियत के हिसाब से मदद की है। लेकिन रकम इतनी बड़ी है कि इसे बिना सरकार की मदद से पूरी नहीं की जा सकती। दानापुर विधायक रीतलाल यादव ने सबसे अधिक 50 लाख रुपये अयांश को दिए हैं। ताकि उनके इलाज में सहायता मिल सके। वहीं पाटलीपुत्र सांसद ने भी 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद की है। ऐसे हजारों लोग हैं जो छोटी बड़ी राशि अयांश के इलाज में दे रहे हैं। जिनमें बक्सर का रहने वाला सात वर्षीय प्रत्युष पांडेय भी है। देखना होगा कि इस सात साल के बच्चे के गुल्लक की रकम क्या सोती हुई सरकार को बच्चे की जान बचाने के लिए मजबूर कर पाती है या नहीं।
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