मनेर की 6 पंचायतों के लोग पी रहे आर्सेनिक वाटर.
10 साल में 200 से अधिक लोग कैंसर से हुए पीड़ित, टीबी, चर्म रोग, किडनी और लिवर की समस्या .
सिटी पोस्ट लाइव : गंगा किनारे बसे गावों के लोगों के जीवन पर बड़ा संकट मंडरा रहा है.गंगा किनारे बसे गावों के लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.मनेर किता 74 पूर्वी पंचायत के छिहंतर गांव के पानी में आर्सेनिक है.इसी की वजह से लोग कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं-पिछले 10 साल में मनेर की छह पंचायतों मगरपाल, किता 74 पूर्वी, किता 74 पश्चिमी, किता 74 मध्य, रामपुर तौफीर और सुअरमरवा में 200 से अधिक लोग कैंसर से पीड़ित हो चुके हैं.
सिर्फ छिहंतर गांव में अभी 15 से अधिक लोग इससे पीड़ित हैं. मुखिया शैलेश कुमार ने बताया कि उनके पिता शिवकुमार सिंह की दो साल पहले, जबकि मां चमेली देवी की छह माह पहले कैंसर से मौत हो चुकी है. उन्हें लिवर में कैंसर था. सरकार की ओर से स्क्रीनिंग कराने की जरूरत है, क्योंकि लोग सामाजिक कारणों इलाज कराने सामने नहीं आते हैं. इन छह पंचायतों में कैंसर ही नहीं, काफी अधिक संख्या में लोग टीबी, चर्म रोग, किडनी और लिवर की समस्या से ग्रसित हैं.सबसे ज्यादा गॉल ब्लाडर और लिवर कैंसर से लोग ग्रसित हो रहे हैं. उनका दावा है कि इन पंचायतों में करीब 20 लोग हर साल कैंसर से मरते हैं.
ग्रामीणों के अनुसार कभी इस पंचायत में पहलवानों की भरमार थी. लोग कुएं का पानी पीकर ही अखाड़े में अच्छे-अच्छे पहलवानों को पछाड़ते रहे हैं. वर्ष 1990 के बाद चापाकल लगाए गए जिनसे पानी निकलने पर कुछ देर में ही लाल हो जाता था. जानकारी के अभाव में वर्षों तक इसे पीकर लोग बीमार होते रहे. वर्ष 2008 में भ्रमण करने आई विदेशी टीम ने इसे खतरनाक बता दिया.सरकार की टीम आई और चापाकल में लाल निशान लगाकर लौट गई. 11 साल पहले करीब 75 करोड़ की लागत से लोदीपुर गांव में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम शुरू किया गया था. कंपनी ने आधा-अधूरा काम किया ही था कि जमीन अधिग्रहण का पेच फंस गया.
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