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लॉक डाउन की वजह से लोगों ने सादगी पूर्वक मनाया रामनवमी का पर्व

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लॉक डाउन की वजह से लोगों ने सादगी पूर्वक मनाया रामनवमी का पर्व

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर राजधानी रांची में लॉक डाउन को देखते हुए लोग गुरुवार को रामनवमी पूजा भी सादगी पूर्ण तरीके से मनाया। हालांकि लोगों ने अपने-अपने घरों में महावीरी झंडे को बदला और पूजा-पाठ करवा कर रामनवमी मनाया। लेकिन पहली बार राजधानी रांची में रामनवमी पर निवारणपुर स्थित तपोवन मंदिर का मुख्य द्वार बंद रहा। इसके अलावा भी कई मंदिरों के द्वार बंद रहे बाहर से ही लोग पूजा अर्चना कर अपने अपने घरों में चले गए और घर में ही पूजा पाठ की। तपोवन ट्रस्ट कमेटी के मीडिया प्रभारी अमित बजाज ने कहा कि श्रद्धालु भगवान श्रीराम के दर्शनों के लिए कतार ना लगाएं। दर्शन के लिए कपाट नहीं खोला जाएगा। मंदिर प्रबंधन कमेटी ने राम भक्तों से आग्रह किया है कि वह अपने अपने घरों में सुरक्षित रहे और श्री रामलला के जन्म के समय अपने घरों में दीप जलाएं, हनुमान चालीसा और श्री राम रक्षा स्रोत पाठ का जाप और आरती करें । मंदिर में पुजारियों द्वारा नियमित पूजा-अर्चना जारी रहेगी। मंदिर का मुख्य द्वार राज्य सरकार के अगले आदेश तक बंद रखा जाएगा और किसी भी परिस्थिति में मंदिर में प्रवेश वर्जित होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर के 282 वर्षों के इतिहास में यह पहला मौका है कि रामनवमी के दिन मंदिर का मुख्य द्वार बंद है।
उल्लेखनीय है कि झारखंड में रामनवमी के दिन राम भक्त हनुमान की पूजा ही नहीं बल्कि कई जगह पर विशाल महावीरी झंडों
के साथ शोभायात्रा में जुलूस निकाले जाते हैं। अखाड़ों में सुबह पूजा अर्चना के बाद विशाल महावीरी पताका के साथ जुलूस निकाले जाते हैं। ढोल नगाड़ों की गूंज के बीच विभिन्न अखाड़ों के जुलूस एक दूसरे से मिलते हुए विशाल शोभायात्रा के रूप में तपोवन मंदिर पहुंचते हैं। वहाँ सभी झंडा की पूजा होती है। लेकिन इस बार यह नहीं हो सका। यहां पहली बार 1929 में उस झंडे की पूजा हुई थी जो महावीर चौक के प्राचीन हनुमान मंदिर से वहां ले जाया गया था। तत्कालीन महंत बटेश्वर दास ने जुलूस का स्वागत और झंडे का पूजन किया था। उसी दिन से यह परंपरा शुरू हुई थी। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉक डाउन में रामनवमी पर्व के दौरान भगवान को चढ़ाने के लिए लड्डू और बुनिया भी लोगों को नहीं मिल रहा था ।सभी होटल बंद थे। कई लोगों ने तो फल फूल से ही पूजा-पाठ किया। कई लोगों ने घर में ही बुंदिया बनाकर भगवान की पूजा अर्चना की। बांस और झंडे के लिए भी लोगों को बहुत परेशानी हुई। परेशानी के बावजूद भी लोगों ने भगवान श्रीराम का पूजा किया।

 

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