सिटी पोस्ट लाइव: कोरोना संक्रमण के कारण बिहार के कई ऐसे युवा और महिलाएं हैं जो अपना रोजगार खो चुके हैं और उनके पास रोजगार का कोई विकल्प नहीं है. इन्हीं कारणों से कयास लगाये जा रहे हैं कि इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में युवाओं और महीलाओं की भागीदारी अहम् मानी जाएगी.
बिहार की जनता को रोजगार की ज़रुरत है और यही कारण है कि इस बार के चुनाव का मुद्दा युवाओं और महिलाओं को रजगार प्रदान करना बन गया है. बिहार की युवा और महिला वैसे नेता को सत्ता में चाहती है जो उन्हें रोजगार प्रदान करे और उनके हित में काम करे. युवाओं और महोलाओं की संख्या भी अधिक है. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब राजनितिक दल के नेता जनता को अपने विभिन्न तरह के रोजगार संबंधी योजनाओं को जनता के समक्ष रख कर उन्हें लुभाने का प्रयास कर रहे हैं.
चुनाव से पहले कई राजनितिक दल के नेता इस तरह के वादे करते हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने वादे से मुकड़ भी जाते हैं. इसलिए ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि जो पार्टी युवाओं और महीलाओं के पक्ष में काम करने में सक्षम होगी जीत भी उन्हीं की होगी. सूत्रों के मुताबिक, 2010 के चुनाव में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने ज्यादा संख्या में वोट किया था वहीँ 2015 में नितीश कुमार के शराब पर प्रतिबन्ध लगाने से महिलाओं ने ज्यादा संख्या में वोट दिए थे. इसलिए इस बार भी उन्हें लुभाने के प्रयास किये जाने वाले पार्टी को जीतने की उम्मीद ज्यादा की जा रही है.
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