सिटी पोस्ट लाईव :पाकिस्तान में चुनावी माहौल है.लेकिन चुनाव से पहले मुद्रा रुपया में जारी गिरावट को लेकर हाहाकार मच गया है.पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ा दिख रहा है.बुधवार को एक अमरीकी डॉलर की क़ीमत 122 पाकिस्तानी रुपए हो गई.बुधवार को डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपए में 3.8 फ़ीसदी की गिरावट आई.अगर डॉलर की कसौटी पर भारत से पाकिस्तानी रुपए की तुलना करें तो भारत की अठन्नी पाकिस्तान के लगभग एक रुपए के बराबर हो गई है.एक डॉलर अभी लगभग 67 भारतीय रुपए के बराबर है.
पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक पिछले सात महीने में तीन बार रुपए का अवमूल्यन कर चुका है, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा.पाकिस्तानी सेंट्रल बैंक भुगतान संतुलन के संकट से बचने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कुछ असर होता नहीं दिख रहा.ईद से पहले पाकिस्तान की माली हालत आम लोगों रंग में भंग डाल रही है. पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव है और चुनाव से पहले कमज़ोर आर्थिक स्थिति को भविष्य के लिए गंभीर चिंता की तरह देखा जा रहा है.
रुपए में भारी गिरावट से साफ़ है कि क़रीब 300 अरब डॉलर की पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही लगातार कमी और चालू खाता घाटे का बना रहना पाकिस्तान के लिए ख़तरे की घंटी है और उसे एक बार फिर इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड यानी अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष के पास जाना पड़ सकता है.पाकिस्तान की अंतरिम सरकार नीतिगत स्तर पर फ़ैसला नहीं ले पा रही है.रुपये के अवमूल्यन को रोकने के लिए कार्यवाहक सरकार पर्याप्त क़दम उठा नहीं रही है.निवर्तमान सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ इस बात का प्रचार कर रही है कि अगर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है तो उसे फिर से सत्ता में लाना होगा.
अब पाकिस्तान के पास आईएमफ़ के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. चीन हमेशा पाकिस्तान को क़र्ज़ नहीं देगा. आईएमएफ़ से भी बहुत आसान नहीं होगा, क्योंकि चीन आईएमएफ़ काउंसिल का एग्जेक्युटिव सदस्य है. पहले पाकिस्तान आईएमएफ़ के पास 10 से 12 सालों में जाता था अब पांच सालों में ही जा रहा है. संकट और गहरा रहा है इसलिए आईएमएफ़ की शरण में जाने का फासला भी कम हो रहा है.पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने दिसंबर और मार्च में रुपए में पांच-पांच फ़ीसदी का अवमूल्यन किया था. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बारे में कहा जा रहा था कि इस साल 6 फ़ीसदी की दर से बढ़ेगी, लेकिन आर्थिक मंदी के कारण इस अनुमान के क़रीब पहुंचना आसान नहीं है.पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा महज 10 अरब डॉलर से थोड़ा ही ज़्यादा बची है. पाकिस्तानी के महत्वपूर्ण अख़बार डॉन की एक ख़बर के अनुसार चीन से क़र्ज़ लेने की बात हो रही है.
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