City Post Live
NEWS 24x7

सीमांचल पहुँच रहे हैं ओवैसी, दो दिन करेंग पदयात्रा.

BJP-महागठबंधन के बाद

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

सिटी पोस्ट लाइव : 2024 के लोक सभा चुनाव को लेकर सिमांचल में सियासी हलचल बढ़ गई है.NDA और महागठबंधन की रैली के बाद अब  AIMIM के प्रमुख ओवेसी भी सीमांचल आ रहे हैं.18 और 19 मार्च को ओवैसी सीमांचल में पद यात्रा करेंगे. बिहार के दो दिवसीय दौरे पर ओवैसी RJD से अपने विधायक तोड़े जाने का हिसाब तो मांगेंगें ही, अपनी जमीन भी मजबूत करने की कोशिश करेंगे. अब उनके आने के बाद किसको फायदा मिलेगा और किसको झटका लगेगा ये देखना दिलचस्प होगा.इस दौरान उनके निशाने पर जितना बीजेपी रहेगी उससे कही ज़्यादा निशाने पर महागठबंधन खासकर RJD  रहने वाला है क्योंकि आरजेडी ने उनकी पार्टी के चार विधायकों को तोड़ दिया था,सीमांचल राजनीति का अखाड़ा बन गया है. पिछले कुछ महीने में इस इलाके में दो बड़ी राजनैतिक रैलियां हुई हैं. पहली अमित शाह की रैली और दूसरी महागठबंधन की रैली. इन दोनों रैलियों ने बिहार का सियासी पारा चढ़ा दिया था.

एआईएमआईएम सुप्रीमो ओवैशी RJD  से बेहद खफा है. माना जा रहा है कि ओवेसी सीमांचल में मुस्लिम मतदाताओं को ये समझाने कि कोशिश कर सकते हैं कि उनके वोट तो लिए जा रहे हैं लेकिन उन्हें उनका वाजिब हक नहीं दे रहे हैं.सीमांचल वो इलाका हैं जो मुस्लिम बाहुल्य है. यहां चार लोकसभा सीटें हैं जिसमें फिलहाल तीन पर महागठबंधन का कब्जा है और एक पर बीजेपी कब्जा  है. सीमांचल का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि सीमांचल से ही पूरे बिहार में राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश तमाम दलों की तरफ से की जाती रही है. अमित शाह भी जब सीमांचल के दौरे पर पहुंचे थे तब उन्होंने महागठबंधन की सरकार पर तुष्टिकरण के आरोप के साथ-साथ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए का मुद्दा उठा माहौल गर्माया था और हिंदू वोटरों को एकजुट करने की कोशिश की थी.

पूरे बिहार में उनके भाषण को हिंदू वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश मानी गई थी. महागठबंधन ने भी सीमांचल में एक बड़ी रैली की और कई मुद्दों पर उनके नेताओ ने बीजेपी पर निशाना साधा लेकिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने भी AIMIM को बीजेपी की B टीम बता कर निशाना साधा. इससे साफ है कि ना सिर्फ महागठबंधन ने मुस्लिम वोटरों को बड़ा मैसेज देने की कोशिश की बल्कि ये भी बताने की कोशिश कि थी कि AIMIM के बहकावे में ना आएं.महागठबंधन को इस बात का एहसास है की AIMIM से मुस्लिम वोटरों को दूर करना बेहद जरूरी है. इसकी बानगी 2020 के विधानसभा चुनाव में दिखी थी जब AIMIM के पांच विधायक जीत कर आए थे लेकिन बाद में उसके चार विधायक राजद में शामिल हो गए.

- Sponsored -

-sponsored-

-sponsored-

Comments are closed.