City Post Live
NEWS 24x7

कोसी रेंज के डीआईजी का फरमान, किसी भी सूरत में नहीं बख्से जाएंगे अपराधी

कोसी इलाके में पुलिस को लगातार मिल रही बड़ी कामयाबी

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

कोसी रेंज के डीआईजी का फरमान, किसी भी सूरत में नहीं बख्से जाएंगे अपराधी

सिटी पोस्ट लाइव : ऐसा लग रहा है कि अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने की कमान खुद डीआईजी ने संभाल ली है। इसके लिये खुद डीआईजी और कोसी प्रमंडल के तीनों जिलों के पुलिस अधीक्षक द्वारा भी हाई लेवल मोनिटरिंग शुरू की गयी है। जाहिर तौर पर इसका आंशिक परिणाम ही सही, वह जमीन पर दिखने लगा है। कयास तो यह भी लगाया जा रहा है की कई पुलिस अधिकारियों के रेंज ट्रान्सफर के बाद नए अधिकारी के कमान संभालते ही वे सभी अधिक ऊर्जा से अपराधियों को उनकी औकात बताएंगे। कोसी प्रक्षेत्र के तीनो जिलों में हुई पुलिस की कार्रवाई एवं उपलब्धि सम्बंधित ब्यौरा पेश करते हुये कोशी प्रक्षेत्र के डीआईजी सुरेश प्रसाद चौधरी ने कहा कि कोसी प्रक्षेत्र में टोटल गिरफ्तारी 719 है जिसमें से 219 को जेल भेजा गया है। इसमें 18 अपराधी हिस्ट्री सीटर हैं। एक सपथ के दौरान 8 पिस्टल 2 मैगजीन जिसमें 47 कारतूस,4 मोटरसाईकिल और एक स्कोर्पियो बरामद किया गया है। यही नहीं, ट्रैफिक नियम के उल्लंघन के दौरान वाहन से जुर्माना के रूप में 2 लाख 47 हजार रुपये भी वसूले गए हैं। शराब की खेप की बात करें तो, देशी शराब 127 लीटर एवं विदेशी शराब 148 लीटर बरामद की गई है। इसके साथ ही 7 मोबाइल 3 साईकिल एवं लूटी गयी 2 मोटर भी जब्त की है।

चौधरी ने बताया कि ये हमारी साप्ताहिक उपलब्धि है। आगे बड़े अपराधियों की गिरफ्तारी पर अधिक बल दिया जाएगा। बड़े अपराधियों की गिरफ्तारी की संख्यां बढ़ायी जायेगी। हालाँकि इन्होंने इस उपलब्धि को पर्याप्त नहीं मानते हुये कहा कि दिन प्रति दिन गिरफ्तारियों को तबज्जो देते हुये इसकी संख्यां बढ़ाने की भरपूर कोशिश की जाएगी। साथ ही आर्म्स एवं लूट के कई कांडों का हमने उद्द्भभेद किया है।अवैध शराब की बारामदगी हुयी और ज्यादा से ज्यादा बरामदगी का प्रयास जारी है। डीआईजी ने आगे कहा कि हथियार बरामदगी के मामले में मधेपुरा में उपलब्धि अच्छी रहने की वजह से,वहां के पुलिस पदाधिकारियों को मनोबल बढ़ाने के लिये उन्हेंब पुरस्कृत भी किया गया है। डीआईजी की मानें तो वो खुद मोनिटरिंग कर रहे हैं,साथ ही सहरसा,सुपौल एवं मधेपुरा जिला के एसपी भी खुद से मोनिटरिंग कर रहे हैं तो परिणाम आगे अच्छे आएंगे ही। इस तरह से कोशी प्रक्षेत्र के डीआईजी ने खुद अपराधियों के विरुद्ध की गयी कार्रवाई एवं उपलब्धि का ब्यौरा पेश कर एवं खुद के द्वारा मोनिटरिंग करने की बात कह कर अपराध व अपराधी के विरुद्ध एक अभियान छेड़ दिया है, जो शांति अमन चैन की स्थापना के साथ अपराधों पर अंकुश लगाने का एक सकारात्मक प्रयास के रूप में निश्चित रूप से देखा जा सकता है।
डीआईजी के प्रयास की हम सराहना करते हैं लेकिन उनके सामने हम कुछ सवाल रख रहे हैं जो पुलिस अधिकारियों की काबिलियत पर शंका पैदा कर रहे हैं।

सवाल 1—ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र में वसूली तंत्र मजबूत है लेकिन सूचना तंत्र फिसड्डी…जिम्मेवार कौन ?

सवाल 2—जेल से जमानत पर रिहा होने वाले अपराधी किस थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं,इसकी सूचना जिले के सभी थानों को क्यों नहीं रहती है ?

सवाल 3—थोक में खूंखार अपराधी,सुपारी किलर जमानत पर रिहा हैं ।उनकी जमानत रद्द कराने की कोशिश पुलिस अधिकारी क्यों नहीं करते हैं ?

सवाल 4—नामी अपराधियों के खिलाफ सीसीए लगाने की प्रकिया क्यों नहीं की जाती है ?

सवाल 5—कम उम्र के लड़के कॉरेक्स,गांजा और सनफिक्स जैसे नशे की लत में आकर अपराध कर रहे हैं ।विभिन्य चिन्हित चौक-चौराहे पर पुलिस की लगातार गस्ती क्यों नहीं होती है ?

सवाल 6—देशी पिस्तौल और सेवन सिक्स हथियार धड़ल्ले से किशोर और युवाओं के हाथ में कहाँ से आ रहे हैं ?हथियार तस्करी पर रोक लगाने के लिए अलग से पुलिस की रणनीति क्यों नहीं बनती है ?

सहरसा एसपी राकेश कुमार की नासमझी का नमूना

बीते 18 जून को मन्नू सिंह की हत्या हुई। हाईप्रोफाईल इस हत्याकांड का अनुसंधानकर्ता एसआई कमलेश कुमार को बनाया गया।कमलेश कुमार ने सीसीटीवी फुटेज और वैज्ञानिक अनुसंधान से कई साक्ष्य उपलब्ध किये। इस हत्याकांड में नामजद अपराधियों के अलावे हत्या में मुस्तैदी से शरीक 6 अन्य अपराधियों के खिलाफ साक्ष्य मिले। अनुसंधनकर्ता सभी साक्ष्यों को समेटकर पुलिस डायरी में लिखते लेकिन उनका तबादला एसपी ने बसनही थाना कर दिया। अनुसंधानकर्ता को एसएचओ का पद तोहफे में मिला, इससे हमें कोई शिकायत नहीं है लेकिन मन्नू सिंह हत्याकांड की जांच सिरे से प्रभावित होगी, इसे एसपी समझ नहीं पाए। एसपी का यह फैसला उनकी अदूरदर्शिता का परिचायक है। आखिर में हम यह ताल ठोंककर कहेंगे कि सहरसा पुलिस बड़े अपराधियों की पिछलग्गू और पैसा उगाही की मशीन है। जनता के अमन और चैन से यहां की पुलिस को कोई लेना-देना नहीं है।

सहरसा से पीटीएन मीडिया न्यूज ग्रुप के चीफ एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट

-sponsored-

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.