सिटी पोस्ट लाइव : RJD के कद्दावर अल्पसंख्यक नेता और बाहुबली शहाबुद्दीन (Shahabuddin Death) की मौत को लेकर बिहार की सियासत गर्म है. तीन दिन पहले दिल्ली में कोरोना से हुई शहाबुद्दीन की मौत के बाद जिस तरह से उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही किया गया उससे बिहार के मुसलमान (Bihar Muslim) खासे नाराज हैं. उनकी अंत्येष्टि में RJD के सबसे बड़े नेता लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और तेजस्वी यादव के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई. शहाबुद्दीन की मौत के बाद लोग इस बात से ज्यादा नाराज हैं कि उनकी अंत्येष्टि दिल्ली में हुई, जबकि उनका परिवार अंतिम संस्कार सीवान में कराये जाने की मांग कर रहा था.
RJD के कुछ बड़े मुस्लिम नेताओं के इस्तीफे के बाद से ज्यादातर अल्पसंख्यक नेता खुलकर विरोध जताने लगे हैं. सलीम परवेज जैसे बड़े नेता के इस्तीफे के बाद पार्टी के घमशान शुरू हो गया है. सलीम परवेज RJD के प्रदेश उपाध्यक्ष थे और बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति भी रह चुके हैं.सलीम परवेज ने इस घटना से आहत होकर ना सिर्फ पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है, बल्कि RJD से भी खुद को अलग कर दिया है. पार्टी से अलग होने के फैसले पर परवेज ने कहा कि मोहम्मद शहाबुद्दीन से मेरा व्यक्तिगत संबंध था, वे मेरे अच्छे मित्र व भाई समान थे. उनके निधन से मर्माहत व स्तब्ध हूं.
सलीम परवेज ने कहा कि मो. शहाबुद्दीन पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे. पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई,RJD के लिए समर्पित नेता रहे लेकिन उनके बीमार पड़ने, तिहाड़ में घटी घटनाओं, एम्स की जगह प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने, मृत्यु के बाद सस्पेंस बनाने, पार्थिव शरीर देने में आनाकानी करने को लेकर पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं ने चुप्पी साध ली. सलीम ने कहा कि शहाबुद्दीन के निधन के बाद भी पार्टी के किसी नेता ने शहाबुद्दीन के बेटे को कोई सहयोग नहीं दिया, न सांत्वना दी. उन्होंने कहा कि अपने सच्चे सिपाही, संस्थापक सदस्य और उसके परिवार के प्रति ऐसी उपेक्षा आपत्तिजनक है, ऐसे में इस पार्टी के साथ अब चलना संभव नहीं है.
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन की मौत के बाद उनके समर्थकों की मांग थी कि उनको सुपुर्द-ए-खाक सीवान में ही किया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो सका. उनकी मौत के बाद लालू-तेजस्वी समेत राजद के वरीय नेताओं ने ट्वीट कर के सफाई और श्रद्धांजलि दी थी.तेजस्वी ने अपनी सफाई में कहा है कि लालू प्रसाद यादव और उन्होंने खुद सरकार और स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई, खूब दवाब भी बनाया लेकिन सरकार कोरोना प्रोटोकॉल का हवाला देकर सीवान ले जाने की अनुमति नहीं दी. तेजस्वी ने इसके लिए सरकार की हठधर्मिता को जिम्मेदार ठहराया. यही नहीं तेजस्वी ने अपनी सफाई में ये भी कहा कि स्थानीय प्रशासन मोहम्मद शहाबुद्दीन को ITO के बजाए किसी दूसरे कब्रिस्तान में दफनाना चाहती थी लेकिन उन्होंने दिल्ली के कमिश्नर से खुद बातकर दिल्ली ITO कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक की अनुमति दिलाई.
शहाबुद्दीन की मौत के बाद सोशल मीडिया में भी उनके समर्थक RJD पर निशाना साध रहे हैं.उनकी नाराजगी इस बात को लेकर भी है दिल्ली में मौजूदगी के बाद भी पार्टी का कोई नेता के अंत्येष्टि में शामिल नहीं हुआ.दूसरी तरफ शहाबुद्दीन की मौत के बाद बिहार में एनडीए का हिस्सा जीतन राम मांझी इस मामले की न्यायिक जांच की मांग उठाकर मामले को और भी तूल दे दिया है.
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