बिहार का कोई भी बालिका गृह नहीं है दूध का धुला हुआ। हर जगह बच्चियों के साथ हो रहे हैं यौनाचार और बलात्कार। सरकार तटस्थ और पारदर्शी होकर सभी बालिका गृह की जांच कराए। आखिर बालिका गृह चलाने वाले एनजीओ पर कोई कारवाई क्यों नहीं होती है ? बालिका गृह की खबर लिखने और दिखाने के नाम पर पर पत्रकारों को मिल रही धमकी पर सरकार क्यों नहीं गम्भीरता दिखा रही है? सिर्फ बच्ची बचाओ और बच्ची पढ़ाओ के नारे से कुछ नहीं होगा। बच्चियों की अस्मत की निगहबानी बड़ी कारवाई से सम्भव हो सकेगी।
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