डूब गया ऐतिहासिक पटना, समार्ट पटना बनाने का रास्ता हुआ साफ़
आखिर क्यों डूब गया पटना? क्या ऐसे ही पटना बनेगा 'स्मार्ट सिटी' ? जानिए पटना की हकीकत
डूब गया ऐतिहासिक पटना, समार्ट पटना बनाने का रास्ता हुआ साफ़
सिटी पोस्ट लाइव ; बाढ़ में पटना के डूबने की वजह से अब पटना के स्मार्ट सिटी बनाने का रास्ता साफ़ हो गया है. इस बाढ़ से पटना की ड्रेनेज सिस्टम का तो अंदाजा लग ही गया है साथ ही पटना शहर किस तरह से कूड़े कचरे की ढेर पर बसा है, ये भी जग-जाहिर हो गया है. पटना में बाढ़ आने से सारे कूड़े कचरे पानी के सहारे ऊपर आ चुके हैं.जाहिर है अगर पटना बाढ़ में डूबा नहीं रहता तो स्मार्ट सिटी के नाम पर केवल कॉस्मेटिक वर्क करके सरकार इसे स्मार्ट सिटी का नाम दे देती. लेकिन अब तो यह साफ़ हो गया है कि वगैर शहर को कचारामुक्त किये और ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किये वगैर पटना को समार्ट सिटी बनाने की योजना पर काम शुरू नहीं होना चाहिए.
पटना संसार के गिने-चुने उन विशेष नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है. गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित ये शहर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों के संगम पर बसा है.हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु ने इसी खासियत की वजह से इस जगह को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना था और अपना दुर्ग स्थापित किया था. आगे चलकर अजातशत्रु के उत्तराधिकारी ‘उदायिन’ या ‘उदायिभद्र’ ने पाटलिपुत्र नगर की नींव डाली और अपनी राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया.
पटना में वर्ष 1975 में बाढ़ की बड़ी त्रासदी आई थी. तब मध्य और पश्चिमी पटना पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूब गया था.लेकिन सोन और गंगा में एक साथ बाढ़ आने के बावजूद राजेंद्र नगर और पटना सिटी का इलाका डूबने से बच गया था, लेकिन इस बार ये ईलाके भी बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. शासन का कहना है कि पटना में बाढ़ की नौबत अत्यधिक बारिश के कारण आई है. लेकिन जो कारण सामने आ रहे हैं वो मानवजनित ज्यदा है प्रकृति का प्रकोप कम. दरअसल यह बाढ़ की नहीं, जल निकासी की व्यवस्था फेल होने की वजह से हुई है.शहर में 31 बड़े नाले हैं. नगर निगम की लापरवाही इस बाढ़ के लिए मुख्य वजह मानी जा रही है.ईन नाला- नालियों में 50 प्रतिशत से अधिक की या तो सफाई नहीं की गई या फिर सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई. 28 और 29 सितंबर को पटना में 200 एमएम तक बरसात होने की मौसम विभाग की चेतावनी के वावजूद शासन ने कोई विशेष तैयारी नहीं की.
गंगा नदी में उफान के कारण कई जगहों पर ड्रेनेज सिस्टम के मुहाने को ब्लॉक कर दिया गया. फिर क्या था रात भर की झमाझम बारिश में ही कई ईलाके डूब गए. जबतक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फरक्का बांध के बैराज खोलवाये और नगर निगम ने ड्रैनेज के मुहाने खोले तब तक देर हो चुकी थी.पूरा शहर डूब चूका था. शहर गंगा के पानी से नहीं डूबा बल्कि बारिश के पानी की वजह से डूबा.पिछले दो दिनों से बारिश नहीं हो रही है. आज से तेज धूप भी निकल आई है लेकिन पानी कम नहीं हो रहा. क्या है इसका मतलब. राजेन्द्र नगर, बाज़ार समिति के लोगों के अनुसार संदलपुर नाहर की वजह से ईन ईलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है. नाहर की सफाई नहीं होने की वजह से उसका पानी शहर में घूस गया है.
वर्ष 1975 में पटना की बाढ़ आज भी कई लोगों के जेहन में जिंदा है. वर्तमान सरकार में बैठे लोगों ने भी उस बाढ़ की बिभिशिका को देखा है लेकिन सत्ता में आने पर सबकुछ भूल गए. उस बाढ़ से कोई सबक नहीं ली और ना ही कोई तैयारी की. नतीजा आज सामने है. राजेंद्र नगर के अशोक पाठक का कहना है कि पटना कभी तालाबों का शहर था. सरकारी दस्तावेजों में 1005 तालाबों का जिक्र है, लेकिन अब आधे से अधिक गायब हो चुके हैं. गर्मी के बाद बरसात में ये नाहर जल संचयन का कार्य करते थे और शहर को जलजमाव से बचाते थे.
लेकिन आज तालाब और यहाँ तक की गंगा नदी के सीने पर बहुमंजिली ईमारते खडी हो गई हैं.जो नदियाँ शहर से होकर गुजराती थीं वो गंदे नाले में तब्दील हो चुकी हैं और ईन नालों की हालत भी खस्ताहाल है.पटना के क्षेत्रफल का लगातार विकास हो रहा है. वगैर किसी योजना के रोज नए नए भवन बन रहे हैं और कॉलोनियां बस रही हैं.लेकिन जल निकासी, सड़क का निर्माण उस अनुपात में नहीं हो पा रहा है. ऐसे में वगैर पटना को दुरुस्त किये इसे स्मार्ट सिटी बनाने का सपना महज एक सपना ही साबित होगा.
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