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बीजेपी से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं नीतीश, ले सकते हैं बड़ा फैसला

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2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 22 सीटें, एलजेपी 6 सीटें, आरएलएसपी ने 3 सीटें जीती थीं. इस तरह कुल मिलाकर एनडीए को 31 सीटें मिली थीं. तब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ नहीं थे.

सिटी पोस्ट लाइव (आकाश ) : बीजेपी ने अभीतक सीटों के बटवारे के मसाले पर चुप्पी साध रखी है. हवा में जो फार्मूला जेडीयू को 12 सीटें देने का आया है, जेडीयू को मंजूर नहीं है. पिछले महीने जब अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बैठक हुई थी ,उस समय कहा गया था कि एक महीने में सबकुछ साफ़ हो जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 14 जुलाई को  कहा भी था कि तीन से चार हफ्तों में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सीट-शेयरिंग का प्रस्ताव आ जाएगा. लेकिन अभीतक कोई औपचारिक प्रस्ताव  नहीं आने से जेडीयू की बेचैनी बढ़ रही है.

20-20 के पुराने फॉर्मूले के आधार पर जेडीयू को 12 सीटें देने की जो ख़बर हवा है , जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि फॉर्मूले के आधार पर सिर्फ 12 सीटें लेना जेडीयू को मंजूर नहीं है.पार्टी सूत्रों के अनुसार सम्मानजनक समझौता नहीं होने पर नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. मसलन अकेले लोक सभा चुनाव में उतर सकते हैं. एकबार अगर उन्होंने फैसला ले लिया तो उसे बदलना किसी ने वश की बात नहीं. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने अकेले चुनावी समर में उतरने का विकल्प भी खुला रखा है. दरअसल 20-20 का प्रस्ताव खुद ग़ैर भाजपाई एनडीए दलों ने अप्रैल में ही तैयार किया था. तब भाजपा के आक्रामक तेवर के मद्देनजर नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एकजुट हुए थे. तय हुआ था कि बीजेपी 20 सीटें अपने पास रखे और बाकी 20 उनके लिए छोड़ दे.

इसी बीच कैराना लोकसभा उपचुनाव और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन से जेडीयू और दूसरे सहयोगी दल ज्यादा आकरामक हैं. आठ जुलाई को दिल्ली में पार्टी की कार्यकारिणी में इस विकल्प चर्चा हुई कि अगर जेडीयू और बीजेपी दोनों 17-17 सीटों पर लड़ें तो पार्टी के लिए बढ़िया सौदा होगा. ऐसी स्थिति में एलजेपी और रालोसपा के खाते में छह सीटें जाएंगी. हालांकि बीजेपी-जेडीयू दोनों ही दलों के नेता ये मान कर चल रहे हैं कि कुशवाहा आज नहीं तो कल विपक्षी खेमे का हिस्सा बनेंगे और ऐसी स्थिति में रामविलास के लिए भी छह सीटें सम्मान का सौदा होगा.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सीट बंटवारे को लेकर हो रही तनातनी की वजह से जेडीयू 2019 लोकसभा चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर चुकी है. बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से खुद बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था तो बाकी 20 सीट अपने सहयोगी जेडीयू एलजेपी और आरएलएसपी को दिया था. बीजेपी के 20-20 फार्मूले के मुताबिक बाकी बची 20 सीटों में 12-14 सीटें जेडीयू, 5-6 सीट एलजेपी, 3 सीट में से 2 सीट आरएलएसपी (उपेन्द्र कुशवाहा गुट) तो 1 सीट अरुण कुमार को देना तय हुआ है.

वैसे पार्टी के शीर्ष नेताओं के मुताबिक, एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर नेताओं के बीच बातचीत जारी है. अब तक एनडीए के सभी घटक दलों के नेताओं ने सीट शेयरिंग के फाइनल होने से इनकार किया है. हालांकि जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, एक सप्ताह पहले सामने आए आंकड़ों में अगर जरा भी सच्चाई है तो जेडीयू को यह मंजूर नहीं है. ऐसे में जेडीयू ने इस आंकड़े के मद्देनजर सभी सीटों पर अपना उम्मीद्वार उतारने की तैयारी शुरू कर दी है.

जेडीयू के नेताओं के मुताबिक, बिहार में सीटों के बंटवारे में भी वो बड़े भाई की भूमिका में होगी. वैसे बीजेपी-जेडीयू 16-16 और 5-3 के फार्मूले पर साथ चुनाव मैदान में जाने का मन बना सकती है. लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा के दबाव में बीजेपी आ जाती है तो नीतीश कुमार अलग राह ले सकते हैं. नीतीश कुमार अकेले चुनाव भले नहीं जीत सकते लेकिन बीजेपी का खेल पूरी तरह से बिगाड़ देने की हैसियत जरुर रखते हैं. वैसे भी कांग उनके साथ जाने को बेताब है.

 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 22 सीटें, एलजेपी 6 सीटें, आरएलएसपी ने 3 सीटें जीती थीं. इस तरह कुल मिलाकर एनडीए को 31 सीटें मिली थीं. तब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ नहीं थे. उसमें नीतीश कुमार की जेडीयू अकेले दम पर चुनाव में उतरी थी और उसको महज दो सीटों से संतोष करना पड़ा था. पर सीटो के बंटवारे को लेकर जो स्थिती अभी पैदा हुई है, ऐसे में जेडीयू का अकेले चुनाव मैदान में जाने का फैसला बीजेपी के लिए घटक साबित हो सकता है.

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