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नीतीश चिराग को निबटाना तो BJP चाहती है बचाना और कांग्रेस क्या चाहती है?

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सिटी पोस्ट लाइव :अपनी सरकार के खिलाफ चिराग पासवान की मोर्चाबंदी से  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेहद नाराज हैं.इसबार वो उपेन्द्र कुशवाहा की तर्ज पर चिराग पासवान को भी निबटा देने की रणनीति बना चुके हैं.लेकिन मुश्किल ये है कि बीजेपी चिराग पासवान के साथ मजबूती से खडी नजर आ रही है.नीतीश कुमार चिराग पस्वं को निबटा पायेगें या नहीं, बीजेपी चिराग पासवान का किस हदतक साथ देगी कुछ भी कह पाना मुस्किल है.लेकिन कांग्रेस पार्टी अभी से ये मानकर चल रही है कि चिराग पासवान महागठबंधन के लिए चिराग बनने जा रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी के नेता चिराग पासवान से लगातार संपर्क साधने में जुटे हैं.सूत्रों के अनुसार चिराग पासवान को तो कांग्रेस पार्टी ने CM का उम्मीदवार बनाने का ऑफर तक दे दिया है.पप्पू यादव ने ऐसे ही बयान नहीं दिया है कि चिराग पासवान को CM कैंडिडेट घोषित कर महागठबंधन को चुनाव लड़ना चाहिए.लेकिन यहाँ भी एक बहुत बड़ा पेंच फंसा हुआ है.लालू यादव इतनी आसानी से चिराग पासवान को तेजस्वी यादव की जगह cm कैंडिडेट बनाने को तैयार नहीं हैं.चिराग पासवान को निबटाने की नीतीश कुमार की राह में जिस तरह से बीजेपी दिवार बनकर खडी है उसी तरह से चिराग पासवान को घोषित करने की कांग्रस की रणनीति में पलीता लगाने के लिए लालू यादव तैयार बैठे हैं.

सूत्रों के अनुसार JDU ने BJP की बराबर बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग नीतीश कुमार मान चुके हैं लेकिन सहयोगी दलों में सीट बटवारे के बाद नहीं बल्कि उसके पहले ही वो आधी आधी सीटें बाँट लेना चाहते हैं.नीतीश कुमार का प्रस्ताव है कि आपस में दो दल आधी आधी सीटें बाँट ले फिर उसे जिसको साथ रखना है रखे और अपनी हिस्से की सीटें दे.नीतीश कुमार अपने साथ चिराग पासवान की काट में जीतन राम मांझी को लेना चाहते हैं तो बीजेपी किसी कीमत पर उस चिराग पासवान को छोड़ने के मूड में नहीं है जो उसकी हर बात मानने को तैयार है.एल एलजेपी नेता का कहना है कि हम बीजेपी के साथ मजबूती के साथ खड़े हैं और ये बीजेपी का दायित्व है कि वो भी एलजेपी के साथ मजबूती से खडी रहे.

दरअसल, बीजेपी को पता है कि अगर चिराग पासवान अलग हुए तो महागठबंधन में उनका जाना तय है.उनके महागठबंधन में चले जाने से लड़ाई बहुत मुश्किल हो जायेगी.बीजेपी को अपना मुख्यमंत्री बनाने का सपना देखती है, चिराग पासवान को ठीक उसी तरह से ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलाना चाहती है जिस तरह से महागठबंधन में नीतीश कुमार ने कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलवाकर RJD को दबाव में लेने की कोशिश की थी.बीजेपी को पता है कि अगर JDU उससे कम सीटें जीतती है तो ऐसे में उसे अपना मुख्यमंत्री बनाने में चिराग पासवान अहम् भूमिका निभा सकते हैं.और यहीं वजह है कि नीतीश कुमार चिराग पासवान को निबटाना चाहते हैं और बीजेपी बचाना चाहती है.

नीतीश कुमार जानते हैं कि जीतन राम मांझी के पास बड़ा वोट बैंक नहीं है. उनकी पार्टी 2015 से लेकर अब तक के सारे चुनाव-उप चुनाव में मांझी की पार्टी  बुरी तरह हारी है.लालू-तेजस्वी मांझी से मिलने तक को तैयार नहीं हैं. फिर भी नीतीश कुमार अगर मांझी को लेना चाहते हैं केवल इसलिए कि इससे आधी सीटों पर उनकी दावेदारी आसानी से बन जायेगी.लेकिन बीजेपी पहले चिराग की सीटों की संख्या फाइनल करना चाहती है फिर नीतीश कुमार के साथ बची सीटों पर आधी आधी सीटें बांटना चाहती है.अगर आप ये जानना चाहते हैं कि आगे क्या होगा तो राजनीति का एक थंब रूल जान लीजिये-राजनीति में दोस्ती कोई मायने नहीं रखती. सारा फैसला इस आधार पर होता है सामनेवाला कितना ताकतवर है. हर ताकतवर, ताकतवर के साथ ही दोस्ती करता है.बीजेपी भी उसी का साथ देगी जिसका साथ उसके लिए ज्यादा जरुरी होगा.

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