सिटी पोस्ट लाइव : उपेन्द्र कुशवाहा को JDU में बहुत बड़ी जिम्मेवारी मिल सकती है.सूत्रों के अनुसार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जेडीयू में नंबर दो की हैसियत रखने वाले आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में मंत्री बनने जा रहे हैं. नीतीश कुमार की पार्टी में एक व्यक्ति, एक पद के फार्मूले के तहत ऐसे में उन्हें राष्ट्रिय अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ेगा और उपेन्द्र कुशवाहा को मौका मिल सकता है.जेडीयू में अपनी पार्टी का विलय कर संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष व विधान पार्षद बने उपेन्द्र कुशवाहा अभी से एक्शन में भी आ गये हैं. केंद्रीय केंद्रीय मेंआरसीपी सिंह के जगह मिलने की चर्चा के बीच उपेन्द्र कुशवाहा बिहार के दौरे पर निकलने का ऐलान कर दिया है. सीएम नीतीश की हरी झंडी मिलने के बाद कुशवाहा ने अपना प्रवास कार्यक्रम तय कर लिया है. सबसे खास बात यह कि उपेन्द्र कुशवाहा भी अब चंपारण से ही यात्रा की शुरूआत करेंगे.
सीएम नीतीश कुमार अक्सर अपनी राजनीतिक-सामाजिक यात्राओं की शुरुआत चंपारण से ही करते आये हैं. अब उनके रास्ते पर चलते हुए उपेन्द्र कुशवाहा भी पश्चिम चंपारण से जिलावार दौरा और प्रवास कार्यक्रम की शुरूआत करेंगे. वे 10 जुलाई से पं. चंपारण से अपनी यात्रा प्रारंभ करेंगे. जिलों में जाकर कुशवाहा पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे और संगठन की मजबूती पर काम करेंगे.2016 में शरद यादव के जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष पद से हटने के बाद से ही नीतीश कुमार सीएम और अध्यक्ष पद की कुर्सी संभाल रहे थे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी सफलता नहीं मिली और इसके बाद ही नीतीश कुमार ने एक व्यक्ति, एक पद के फार्मूले पर अमल करते हुए आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बनाया था. अब नीतीश कुमार चाहते हैं कि आरसीपी सिंह केंद्र में जनता दल यूनाइटेड का प्रतिनिधित्व करें और पार्टी की कमान किसी दूसरे नेता को सौंप दें.
नतीश के विरोध की राजनीति करने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने सभी रंजिशें भुलाकर नीतीश कुमार का हाथ थामा था. उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी संसदीय दल का नेता बनाकर नीतीश कुमार ने भी साफ संकेत दे दिये थे कि आने वाल समय में इस बागी नेता को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल की लिस्ट में जेडीयू कोटे से उपेंद्र कुशवाहा का नाम सामने आ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है. अगर आरसीपी सिंह अध्यक्ष पद ना छोड़ने की अपनी जिद पर अड़े रहते हैं तो संभावित मंत्रियों की लिस्ट से उनका नाम कट सकता है और उपेंद्र कुशवाहा की लॉटरी लग सकती है.
उपेंद्र कुशवाहा के मंत्री बनने में एक ही दिक्कत है कि वे सांसद नहीं हैं. कुशवाहा पिछली बार काराकाट और उजियारपुर दो जगह से लोकसभा का चुनाव लड़े थे और दोनों ही जगह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजना भी मुश्किल है. ऐसे में आरसीपी का पलड़ा भारी लग रहा है.’ऑपरेशन बदला’ को अंजाम देकर लोक जनशक्ति पार्टी को दो फाड़ करने वाले राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह का नाम सबकी जुबान पर है. चिराग पासवान के पांव के नीचे से जमीन सरकाने वाले ललन सिंह को उनके काम का इनाम मिलना तय माना जा रहा है.
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