“नीतीश कुमार हैं नरेंद्र मोदी के बंधुआ मजदूर,सारे तंत्र का कर रहे हैं दुरुपयोग”- रंजीता रंजन
अगड़ा,पिछड़ा और जय भीम सहित जय मीम के नारे लग रहे
“नीतीश कुमार हैं नरेंद्र मोदी के बंधुआ मजदूर,सारे तंत्र का कर रहे हैं दुरुपयोग”- रंजीता रंजन
सहरसा सिटी पोस्ट लाइव स्पेशल : आज देश की फिजा बिल्कुल बदल गयी है. अगड़ा–पिछड़ा और धर्म के नाम पर लोग बंट रहे हैं. कोई जय भीम,तो कोई जय मीम के नारे लगा रहा है. कोई मूल निवासी और जय पचासी कर रहा है. यह देश सभी जाति,वर्ग,पंथ,सम्प्रदाय और धर्मों का है. आज देश गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा है. देश के बड़े नेताओं को इस गम्भीर हालात को देखना चाहिए.ऐसे समय में अटल बिहारी बाजपेयी की निकली अस्थि कलश यात्रा पर विरोधी दल के नेता ना केवल तरह-तरह के प्रलाप कर रहे हैं बल्कि गम्भीर आरोप भी लगा रहे हैं.
सुपौल की कांग्रेस सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता रंजीता रंजन ने इस अस्थि कलश यात्रा को पूरी तरह से घृणित राजनीतिक यात्रा करार दिया है. उन्होंने कहा कि – “एक दशक से बाजपेयी जी सक्रिय राजनीति से दूर थे और कुछ वर्षों से कोमा में थे. जबतक वे जिंदा रहे,कोई बीजेपी का बड़ा नेता उनसे मिलने नहीं गया और आज उनकी अस्थि कलश को लेकर वोट के लिए यात्रा निकाल रहे हैं. इनकी मानें तो,भाजपा की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है और भाजपा का जनाधार खत्म होने के कगार पर है. अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को पाने और बिखड़ चुके जनाधार को मजबूत करने के लिए बाजपेयी जी की मृत्यु के बाद भी उनके साथ मजाक हो रहा है”. बिहार में तो नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के बंधुआ मजदूर हैं. अस्थि कलश यात्रा में नीतीश कुमार ने पुलिस-प्रशासन से लेकर सारे तंत्र को झोंक दिया है. कुल मिलाकर रंजीता रंजन ने इस अस्थि कलश यात्रा को राजनीतिक और फारस यात्रा करारा है.
अब इस अस्थि कलश यात्रा को लेकर भाजपा की क्या मंशा है,इससे हमको कोई लेना-देना नहीं है लेकिन इस यात्रा को दूसरी नजर से भी देखा जा सकता है. एक विराट पुरुष और एक महामानव की अस्थि कलश यात्रा से समाज में एक नई चेतना और जागृति की भी संभावना बन सकती है. लोग उनकी तरह बनें इसकी प्रेरणा भी ली जा सकती है. लेकिन ऐसी चर्चा किसी खेमे में नहीं हो रही है ।वैसे आगे यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि इस अस्थि कलश यात्रा पर राजनीति कहां जाकर रुकती है.
सुपौल से पीटीएन मीडिया न्यूज ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
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