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नीतीश के मंत्रिमंडल का फॉर्मूला हो रहा तय, जानें NDA की सबसे बड़ी पार्टी BJP को क्या मिलेगा

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनावों मिले स्पष्ट बहुमत के बाद अब नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनाने की तैयारी चल रही है। दिवाली बाद सीएम नीतीश कुमार अपने नये मंत्रिमंडल के साथ शपथ ले सकते हैं। वहीं इस बीच अब मंत्रिमंडल गठन के फॉर्मूले पर कवायद तेज हो गयी है। बताया जा रहा है कि सात विधायकों के दो मंत्री बनाने के फॉर्मूले पर काम चल रहा है।

नियमों के मुताबिक बिहार में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं। इस बार एनडीए के 125 विधायक जीत कर आए हैं। इनमें जेडीयू के 43 और बीजेपी के 74 विधायक हैं। जबकि हम और वीआईपी के चार-चार विधायक हैं। मौजूदा फॉर्मूला के हिसाब से अगर हम और वीआईपी मंत्रिमंडल में शामिल हुए तो दोनों दलों से एक-एक मंत्री हो सकते हैं। जबकि जेडीयू से 13 तो बीजेपी से 21 मंत्री बन सकते हैं।

वहीं राजनीतिक गलियारों से आ रही खबरों के अनुसार, अभी सरकार में जेडीयू और बीजेपी कोटे से बराबर-बराबर मंत्री बनाये जा सकते हैं। भविष्य में मंत्रिमंडल विस्तार होने पर संख्या बल के हिसाब से घटकदलों के सदस्यों को मंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन कुछ राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि भाजपा के ऊपर अधिक मंत्री पद हासिल करने का भी विधायकों की ओर से दबाव होगा।

वहीं, विधानसभा अध्यक्ष किस दल के खाते में होगा, यह एनडीए के नेता आपसी बैठक के बाद तय करेंगे। इस संबंध में एक सवाल पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने न्यूज चैनल को दिये साक्षात्कार में कहा कि राजनीति में कोई बड़ा भाई और छोटा भाई नहीं होता है। किस दल के मंत्री अधिक रहेंगे यह कोई मुद्दा नहीं है।

नीतीश कुमार की पिछली सरकार में कुल 31 मंत्री थे, जिनमें सीएम को मिलाकर जेडीयू कोटे से 17 मंत्री थे, जबकि बीजेपी कोटे से 13 मंत्री बने थे। इसके अलावा जेडीयू कोटे से ही विजय चौधरी विधानसभा अध्यक्ष थे। हालांकि, यहां यह भी देखने वाली बात है कि उस वक्त जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में थी, क्योंकि बीजेपी के 53 और जेडीयू 71 विधायक थे। इसी आधार पर कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या फॉर्मूला तय हुआ था। मगर इस बार बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है और उसके विधायकों की संख्या जेडीयू से कहीं ज्यादा है। ऐसे में मंत्रिपद को लेकर भी पेच फंस सकता है।

पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में साफ कहा है कि एनडीए की अगली सरकार में वे स्वयं मंत्री नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि वे सीएम रह चुके हैं। ऐसे में वे फिर मंत्री बनना नहीं चाहेंगे। उनकी पार्टी से कोई मंत्री बनेगा या नहीं, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो सीएम  तय करते हैं। अभी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। मांझी ने गुरुवार को अपने विधायक दल की बैठक बुलायी है। गौरतलब हो कि हम के चार उम्मीदवार चुनाव जीत कर आये हैं।

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