शिवानंद तिवारी ने कहा-सृजन घोटाला में नीतीश और सुशील मोदी जायेगें जेल
सिटी पोस्ट लाइव : राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी पर जमकर निशाना साधा है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि रेलवे के मामले में लालू परिवार को फंसाने का प्रयास बहुत दिनों से हो रहा था. इस साजिश में नीतीश कुमार और सुशील मोदी दोनों शामिल रहे हैं. सीबीआई के सीनियर अफसर राकेश अस्थाना इस साजिश में इन लोगों का माध्यम था.
उन्होंने कहा कि इसी साल 27 सितंबर को इकोनॉमिक टाइम्स में वेंकटेश शर्मा का लंबा इंटरव्यू छपा था. वेंकटेश उर्फ़ डब्लू पिछले विधान परिषद के चुनाव में नीरज के विरुद्ध भाजपा के उम्मीदवार थे. वेंकटेश ललन सिंह के शिष्य हैं. ललन ने ही वेंकटेश को सुशील मोदी के जरिए परिषद के चुनाव मे भाजपा का टिकट दिलवाया था. वेंकटेश ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के विरुद्ध एक पीटीशन दाखिल किया था. आरोप था कि पटना में लालू यादव के यहां जो छापेमारी हुई थी, उसको आलोक वर्मा ने घंटा भर के लिए विलंब करवा दिया था. उन्होंने कहा कि इस बीच रेलवे घोटाले से संबंधित महत्वपूर्ण कागजात को हटाने का मौका लालू परिवार को मिल गया. वेंकटेश की मांग थी कि एक विशेष टीम गठित कर इस आरोप की जांच कराई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इसको ख़ारिज कर दिया था. आश्चर्यजनक है कि इस मामले में वेंकटेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नीतीश कुमार तथा ललन सिंह के अत्यंत नजदीकी और बिहार सरकार के वकील गोपाल जी पैरवी कर रहे थे. वेंकटेश को सुप्रीम कोर्ट में पीटीशन दाखिल करने में राकेश अस्थाना ने भी मदद की थी.
उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक़ चुनाव हारने के बाद वेंकटेश संभवत: वाराणसी में स्कूल चला रहे हैं. वहीं ललन सिंह ने उनसे सुप्रीम कोर्ट में पीटीशन दाखिल करने के विषय में पहली बातचीत फ़ोन पर की थी. जानकारी के मुताबिक़ ललन सिंह ने वेंकटेश पर दबाव बनाने के लिए नीतीश से भी बात करवाई. अगर ललन और वेंकटेश के मोबाइल का कॉल डिटेल्स निकाला जाए तो दोनों के बीच की घनिष्ठता ज़ाहिर हो जाएगी. शिवानंद तिवारी ने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में स्पष्ट कर दिया है कि किस प्रकार राकेश अस्थाना, सुशील मोदी और पीएमओ के पदाधिकारी ने मिलकर लालू परिवार को फंसाने की साजिश की है. ललन सिंह के शिष्य वेंकटेश द्वारा सुप्रीमकोर्ट में दाखिल पीटीशन इस साजिश को और पुष्ट करता है.
उन्होंने यह भी कहा कि हमारा मानना है कि सीबीआई मुख्यालय में अस्थाना तथा उनके जैसे अन्य पदाधिकारी सृजन घोटाला मामले में नीतीश कुमार और सुशील मोदी को बचाने के लिए जांच के नाम पर लीपापोती कर रहे हैं. नीतीश कुमार के मुताबिक़ सरकार का चेक नहीं भंजने (बाउंस) के बाद सृजन घोटाले का मामला उजागर हुआ और जैसे ही उनकी जानकारी में यह बात आई, उन्होंने बिहार सरकार के पदाधिकारियों की जांच टीम गठित कर भागलपुर भेजा. बाद में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया, इसलिए इस मामले में उनपर अंगली नहीं उठाई जा सकती है. शिवानन्द तिवारी ने कहा कि -नीतीश सरासर झूठ बोल रहे हैं. इस घोटाले में वे शुरू से साझीदार रहे हैं. जहां तक घोटाले के सार्वजनिक होने का सवाल है, तो वह कम से कम 2013 में ही हो गया था, जब जयश्री ठाकुर, तत्कालीन अपर समाहर्ता भू-अधिग्रहण के भागलपुर आवास पर निगरानी विभाग के आर्थिक अपराध इकाई ने छापेमारी की थी. उक्त छापेमारी में जयश्री ठाकुर के घर से सात करोड़ से ज्यादा की रक़म का सृजन में जमा होने की रसीद मिली. सारे समाचार पत्रों ने इस खबर को प्रमुखता से छापा था. बल्कि, यह खबर भी छपी थी कि बगैर रिज़र्व बैंक के लाइसेंस के सृजन नाजायज़ बैंकिंग का काम कर रहा है.
शिवानंद तिवारी के अनुसार उक्त छापेमारी के अगले दिन भागलपुर के संजीत कुमार ने मुख्यमंत्री को इमेल के जरिए सूचित किया था कि सृजन में अवैध ढंग से बैंकिंग का काम कर रहा है. इस प्रकरण में नीतीश कुमार के आपराधिक चुप्पी का नमूना तो यह है कि छापेमारी करनेवाले निगरानी विभाग के मंत्री स्वयं नीतीश कुमार हैं. इसलिए सृजन का मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की जानकारी में कम से कम 2013 में ही आ गया था. लेकिन इन दोनों में से किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की. सृजन द्वारा लूट उस समय तक जारी रहा, जब तक सरकार का चेक बाउंस नहीं हुआ. ये दोनों उस लूट में हिस्सेदार बने रहे. इसलिए सृजन घोटाला मामले में आज न कल, दोनों को जेल जाना ही है.
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