नेपाल में भारी बारिश से कई नदियां उफनाईं, कोसी-गंडक में तेजी से बढ़ोतरी
मधुबनी : गागन नदी में आए उफान से टूटा एनएच 227, कई गांवों में फैला पानी, दहशत में ग्रामीण
सिटी पोस्ट लाईव : पिछले 48 घंटे से नेपाल में रुक-रुक कर बारिश हो रही है . उत्तर बिहार की नदियों का बढ़ना शुरू हो गया है. रविवार की रात कोसी और गंडक का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. पहली बार कोसी और गंडक नदियों में एक लाख क्यूसेक से अधिक जल का बहाव हो रहा है. उधर, बागमती और कमला-बलान का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. नेपाल में भारी बारिश की संभावना के बाद नदियों में और जलस्तर बढ़ने की आशंका है. हालांकि दूसरी नदियों का जलस्तर अभी लाल निशान के नीचे है. जल संसाधन विभाग के अनुसार नेपाल के तराई के साथ उत्तर बिहार की नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश के बाद जलस्तर में तेजी से वृद्धि होने लगी है.
बागमती नदी का जलस्तर सीतामढ़ी के डुब्बाधार में खतरे के निशान से 22 सेंटीमीटर ऊपर चला गया है जबकि मुजफ्फरपुर में खतरे के निशान से महज चार सेंटीमीटर नीचे है. इसी तरह कमला बलान नदी मधुबनी के जयनगर में पांच सेंटीमीटर जबकि झंझारपुर में 10 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है. कोसी और गंडक नदी सोमवार को इस साल पहली बार एक लाख क्यूसेक को पार कर गयी. कोसी वराह में 71 हजार क्यूसेक पर थी जबकि वीरपुर बराज पर उसमें 1.07 लाख क्यूसेक पानी था. उधर, गंडक में तेजी से उफान आ रहा है. सुबह वाल्मीकिनगर बराज पर 95 हजार क्यूसेक पानी था जो देर शाम 1.14 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया. नेपाल के तराई में देर रात तेज बारिश शुरू हो गई थी.
वाल्मीकिनगर स्थित गंडक बराज के जल स्तर में पिछले 24 घंटे के दौरान भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. रविवार को बराज का डिस्चार्ज 49,800 क्यूसेक दर्ज किया गया था.सोमवार को जलस्तर 1.37 लाख क्यूसेक को पार कर .जलस्तर में बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है. जलस्तर दो लाख क्यूसेक के पार जाने की संभावना है. लदनियां प्रखंड के दर्जन भर गांवों में गागन नदी का पानी फैल गया है. गांवों में बाढ़ का पानी सड़कों पर आ जाने के कारण लोगों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रखंड के तेनुआही चौक पर एनएच 227 पानी के दबाव के कारण टूट गया है. यह सड़क लदनियां को जयनगर से जोड़ती है. दोनबारी, पथलगाढ़ा, जानकीनगर, कमतोलिया व तेनुआही के साथ साथ आस पास के क्षेत्र डलोखर, खोजा व मिरजापुर समेत अन्य गांवों में गागन नदी का पानी भरा हुआ है. इन गांवों में तीन हजार एकड़ में लगे धान के बिचड़े को नुकसान पहुंचा है.
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