“राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है रेलवे,इसका निजीकरण कोई नहीं कर सकता”- नीतीश कुमार
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि – “रेलवे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है. भारत में रेलवे का निजीकरण असंभव है. कोई चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता.” नीतीश कुमार शनिवार को ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के युवा सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल हुए. इस मौके पर उन्होंने कहा कि -“भारत में कोई चाह कर भी रेलवे का निजीकरण नहीं कर सकता.”
नीतीश कुमार ने कहा कि – “देश में रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे अधिक कर्मियों और संपत्ति के मामले में रेलवे सबसे बड़ा मंत्रालय है. पटना में पहले जहां प्रतिदिन तीन-चार विमान उतरते थे वहीं अब 48 फ्लाइट आते-जाते हैं. अच्छी सड़कें बनीं, रुरल सड़कों की भी मेंटेनेंस पॉलिसी बना दी गयी. इसके बावजूद परिवहन के सभी माध्यमों में से सबसे अधिक यात्रा लोग रेल से ही करते हैं. यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है. इसका परिचालन सही तरीके से होना चाहिए.” उन्होंने कहा कि पूर्व रेल मंत्री होने के नाते रेलवे से मेरा भावनात्मक लगाव है. इस मौके पर उनका दर्द भी छलका.
नीतीश कुमार ने कहा कि वे भी रेल मंत्री रह चुके हैं. इस नाते उनका रेलवे से भावनात्मक लगाव है. उन्होंने अपने कार्यकाल के अनुभव को भी साझा किया. नीतीश कुमार ने कहा कि 1999 में एक रेल हादसे के बाद मैंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उस समय अटल बिहार वाजपेयी प्रधानमंत्री थे.उन्होंने मेरा इस्तीफा रिजेक्ट कर दिया. मैं दुखी था, फिर पीएम के पास गया. तब जा कर इस्तीफा मंजूर हुआ. वाजपेयी जी ने मुझे फिर रेल मंत्री बनाया. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि – “वे कई मंत्रालयों में मंत्री रह चुके हैं. आज वे मुख्यमंत्री हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें चीजों की जानकारी नहीं होती. उन्होंने कहा कि देश में बड़ी संख्या में रेलकर्मी हैं. उनकी समस्याओं का समाधान किये बिना कर्मियों का मनोबल नहीं बढ़ेगा.” उन्होंने कहा कि रेलवे के बारे में गहराई से जानकारी लिये बिना काम करना मुश्किल है. अपने रेलमंत्री के कार्यकाल के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि रेलवे ट्रैक की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए अधिकारियों के साथ वे व्यक्तिगत रूप से जाते थे.
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