सिटी पोस्ट लाइव : ( Exclusive ) “ बाप रे बाप ,आह रे माई – हो गया बाबू , मर गए दादा , कुछ नहीं होगा , मौत कैसे हो जाएगा तोरा ,तोरा बाल बच्चा को ऑफिसर कौन बनाएगा ,बाप रे भोंक रहा है, माई रे माई ,भोंक नहीं रहा है काट रहा है ,भोंक रहा है, बाप रे बाप ,आह रे माई जान गईल , अब एक ही सिलाई बचा है, रोइयेगा तो ज्यादा खून बहेगा ,कुछ नहीं होगा , डॉक्टर नहीं तो क्या हुआ, हम हैं न “, ये संवाद हो रहा है सड़क दुर्घटना में बुरी तरह जख्मी एक मरीज और उसके फटे हुए माथे का स्टिचिंग ( सिलाई ) कर रहे मुना भाई एमबीबीएस के बीच . जी हाँ, ये मुना भाई एमबीबीएस है .अस्पताल है मधेपुरा सदर अस्पताल . डॉक्टर अस्पताल में है नहीं और आ गया है एक सीरियस एक्सीडेंट केस ..जब डॉक्टर नहीं है तो ईलाज कौन करे ?
दरअसल, सोमवार रात करीब 12 बजे शहर के कॉलेज चौक में मोटर साइकिल और ट्रक के बीच टक्कर हो गई .इस टक्कर में एक बड़े नौकरशाह ( डीडीसी ) का ड्राइवर मोहम्मद हबीबुल्ला गंभीर रूप से घायल हो गया . पुलिस की गश्ती गाड़ी ने उन्हें देखा और फौरन उठाकर अस्पताल तक पहुंचाया. इमरजेंसी वार्ड में इलाज करने के लिए लिटा दिया गया.डॉक्टर था नहीं इसलिए ईलाज की जिम्मेवारी इमरजेंसी वार्ड में पर्ची काट रहे राजकुमार को दी गई . फिर क्या था राजकुमार आ गया मुन्ना भाई एमबीबीएस की भूमिका में .दोक्टोरी की डीग्री और ऑपरेशन का अनुभव नहीं है तो क्या हुआ . वह रोज डॉक्टरों को करीब से देखता तो है ही. इस मुना भाई एमबीबीएस को ये पता नहीं था कि स्टिचिंग से पहले दर्द का इंजेक्शन भी देना जरुरी होता है. वैसे भी बिजली थी नहीं. जेनेरेटर खराब था .लेकिन एमबीबीएस मुना भाई ने टॉर्च की रोशनी में ही लिटाकर सुई धागे से स्टिचिंग का काम ठीक उसी तरह शुरू कर दिया जैसे कपड़ा की सिलाई की जाती है. मरीज बाप बाप चिल्ला रहा था, दर्द से तड़प रहा था और ये एमबीबीएस मुना भाई सिलाई कर रहा था .कैसे मरीज को आश्वासन दे रहा था ये मुना भाई ,ये तो आप खुद सून लीजिये
कनक कुमार
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