City Post Live
NEWS 24x7

मुकेश सहनी ने कहा- बिहार में अब खत्म हो गया है NDA, जानिये क्या है माजरा?

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव :बिहार विधान परिषद की सभी 24 सीटों के लिए हो रहे चुनाव को लेकर NDA में घम्शान जारी है.BJP-JDU के बीच तो समझौता हो गया.एलजेपी को एक सीट देकर और मांझी को किसी तरह से NDA ने तो मन लिया है लेकिन मुकेश सहनी को अकेला छोड़ दिया है.बिहार सरकार के मंत्री और वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने सीटों के बंटवारे के नाराज होकर कहा है कि बिहार विधान परिषद की सभी 24 सीटों पर वीआईपी पार्टी चुनाव लड़ेगी. सहनी ने कहा कि बिहार में एनडीए महज बीजेपी-जेडीयू तक ही सीमित रह गया है.

मुकेश सहनी ने कहा कि बिहार में सरकार बनाते वक्त जो एनडीए था अब वह एनडीए नहीं रह गया है. सहनी ने आरोप लगाया कि यह केवल बीजेपी और जदयू का एनडीए बनकर रह गया है. साहनी ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार विधान परिषद की सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और यह लड़ाई अब बहुत आगे तक जाएगी.निषाद आरक्षण की वकालत करते हुए मुकेश सहनी ने कहा कि वो निषाद आरक्षण की मांग बराबर करते रहे हैं और यह लोगों को नागवार गुजर रहा है. बीजेपी का बगैर नाम लिए हुए मुकेश साहनी ने कहा कि कुछ लोग निषाद समाज के वोट बैंक को अपनी जागीर समझ रहे हैं और यह उनका बहुत बड़ा भ्रम है.

मुकेश सहनी ने कहा कि उनकी और जीतन राम मांझी दोनों की पार्टियों ने बिहार में एनडीए सरकार को बनाने में उस वक्त सहयोग दिया है जबकि विपक्ष की तरफ से उन्हें सभी विधायकों को मंत्री और राज्यपाल कोटे की विधान विधान परिषद की 12 सीटो में से 6 सीट देने का वायदा किया गया था.मुकेश सहनी ने खुद की तुलना राजा हरिश्चंद्र से की और कहा कि वो पहले भी हरिश्चंद्र थे और आज भी हरिश्चंद्र हैं. भाजपा नेताओं को इशारों इशारों में मुकेश सहनी ने हिटलर बताते हुए कहा कि ऐसे लोग मुकेश सहनी और उनकी पार्टी को मिट्टी में मिलाने की कोशिशों में लगे हैं लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है. मुकेश सहनी ने यह भी कहा कि लोगों को यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि वह जो कह देंगे, वही हो जाएगा. मेरे जैसे लोग उनके पीछे चलने वाले नहीं हैं.

मुकेश सहनी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आप सामान्य वर्ग के लिए तीन घंटे में आरक्षण लागू कर सकते हैं तो निषाद जाति के लोगों के लिए आरक्षण क्यों नहीं लागू कर सकते हैं. सहनी ने कहा कि अगर मैं अपने समाज के हक के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं तो इससे आपको क्यों आपत्ति है. हम संघर्ष करने वाले लोग हैं और हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई इसको किस रूप में लेता है.

- Sponsored -

-sponsored-

-sponsored-

Comments are closed.