महागठबंधन में जाने का मन बना चुके हैं मुकेश सहनी, BJP की बढ़ा सकते हैं चुनौती
सिटी पोस्ट लाइव : पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली के आयोजन के जरिये अपनी वीआइपी पार्टी लांच करने वाले सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी सभी राजनीतिक दलों की नजर में आ गए हैं. निषाद समाज की मांग को लेकर पिछले एक साल से लगातार बिहार में आन्दोलन कर रहे मुकेश सहनी ने पटना के गांधी मैदान को भरकर अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास सभी दलों को करा दिया है. लेकिन मुकेश सहनी पहले ही सिटी पोस्ट लाइव को बता चुके हैं कि वो महागठबंधन के साथ जाने को इच्छुक हैं ना कि एनडीए के साथ.गौरतलब है कि मुकेश सहनी को कभी बीजेपी के सबसे तेजी से उभरता सितारा मना जाता था.लेकिन अब बीजेपी से वो बेहद नाराज हैं. उनका दावा है कि जिस तरह गुजरात में हार्दिक पटेल बीजेपी के लिए मुसीबत बने हैं,बिहार में वो बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनेगें.
मुकेश सहनी के इस स्टैंड के बाद उपेन्द्र कुशवाहा सबसे पहले उनसे मिलने पहुंचे. उनके बाद अब महागठबंधन के नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी उनसे मिलने पहुंचे हैं. जीतन राम मांझी के साथ मुकेश सहनी की मुलाक़ात को लेकर सियासी हलकों .हार्र्दिक से या वो या या या बिहार की राजनीति में सन आॅफ मल्लाह के में बेचैनी बढ़ गई है.मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी की मुलाकात को लेकर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मकेश सहनी महागठबंधन के साथ जाकर बीजेपी की चुनौती बढ़ा सकते हैं. शनिवार को जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी के बीच लंबी मुलाकात हुई है. इस दौरान दोनों में मिशन 2019 को लेकर बातें हुईं. लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा हुई है. हालांकि मुकेश सहनी की ओर से कहा जा रहा है कि जीतनराम मांझी के साथ हुई उनकी भेंट उपेंद्र कुशवाहा की तरह ही केवल शिष्टाचार मुलाकात है.
मुकेश सहनी के जीतनराम मांझी से भेंट महज संयोग नहीं है. मुकेश सहनी की महागठबंधन के नेताओं की ओर बढ़ती नजदीकियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. एक्सपर्ट के अनुसार इस मुलाकात के पीछे कुछ तो बात है.गौरतलब है कि सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी ने चार नवंबर को पटना के गांधी मैदान में अपने दम पर निषाद महारैला का आयोजन किया था. महारैला की सफलता से वो काफी उत्साहित हैं.. उन्होंने गांधी मैदान में अपनी नई पार्टी की घोषणा कर दी. पार्टी का नाम रखा वीआईपी यानी विकासशील इंसान पार्टी. इसके बाद से ही अचानक मुकेश सहनी की डिमांड बढ़ गई है.
दरअसल, मुकेश सहनी ने जिस तरीके से बिहार के निषाद समाज को सत्ता में हिस्सेदारी के लिए जागरूक किया है, उससे सभी राजनीतिक दल चौकन्ने हो गए हैं. ऐसे में इस जमात के बड़े वोट बैंक को कोई भी गठबंधन इग्नोर करने की स्थिति में नहीं है. मुकेश सहनी अकेले चुनाव लड़ जाने के मूड में नहीं दिख रहे हैं.वो गठबंधन चाहते हैं. बीजेपी के खिलाफ गठबंधन का हिस्सा बनना चाहते हैं. ऐसे में उनके महागठबंधन के साथ जाने की संभावना सबसे ज्यादा है.
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