माननियों के वेतन, भारी ईजाफे की तैयारी, कार के लिए मिलेगा 15 लाख का लोन
विधायकों-विधान पार्षदों का बढ़ेगा भत्ता, गाड़ी खरीदने के लिए अब मिलेंगे 15 लाख रुपए
सिटी पोस्ट लाईव : राजनीति और राजनेताओं का चरित्र समझना है तो पहले एक बात समझ जाइए .आज की राजनीति का मतलब “राज की नीति” है. और सत्ता पर काबिज चाहें जो भी हो उसका चरित्र एक होता है. राजनेता इसी नीति के तहत जनता को दिखाने के लिए आपस में ऐसे लड़ने का नाटक करते हैं कि जनता भ्रम में पड़ जाए . जनता के मुद्दे पर सदन के अन्दर बाहर ये इतना हंगामा मचाते हैं कि मुद्दा ही ख़त्म हो जाता है .लेकिन जब इनके हित की बात हो ,इनके फाये की बात हो तो चोर चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर एक हो जाते हैं. कोई हो हंगामा नहीं, कोई विरोध नहीं . एकबार फिर बिहार के पक्ष विपक्ष के विधायकों ने मिल बैठकर अपने वेतन और भत्ते में मनमाफिक बढ़ोतरी की व्यवस्था कर ली है. जानकारी के मुताबिक राज्य में विधानमंडल सदस्यों के भत्ते में जल्द ही बढ़ोतरी होने वाली है. इसके लिए संसदीय कार्य विभाग ने सदस्यों के भत्ते और पेंशन नियमावली-2006 में संशोधन की तैयारी कर ली है. सबकुछ ठीक रहा तो इस मानसून सत्र में नई व्यवस्था लागू हो जाएगी.
इस नए नियम से सबसे ज्यादा फायदा पूर्व सदस्यों को होगा. विधान परिषद और विधानसभा के पूर्व सदस्यों की पेंशन में प्रति माह 10 हजार रुपए का इजाफा होगा.यानी राजनीति से सेवानिवृत होने के बाद ठाट से जीवन काटने की सरकारी खर्चे पर व्यवस्था हो रही है. सूत्रों के अनुसार, विधानमंडल के सदस्यों के भत्ते में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी होगी. कार खरीदने के लिए अब 10 लाख रुपए की जगह 15 लाख रुपए का लोन मिलेगा .गौरतलब है कि इससे पहले 2014 में जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्रित्व काल में सदस्यों के वेतन-भत्ते में बढ़ोतरी हुई थी. उस समय बिहार विधान मंडल के सदस्यों का वेतन अब 25,000 रुपये प्रतिमाह से बढ़कर 30,000 रुपये प्रतिमाह हो गया था. बिहार विधानमंडल सदस्यों को वर्तमान में क्षेत्रीय भत्ता जो कि 25,000 रुपये मिलता था वह अब बढ़कर 45,000 रुपये हो गया. 2014 तक विधान मंडल सदस्यों को गाड़ी खरीदने के लिए आठ लाख तक मिलते तो जा बढ़कर 10 लाख कर हो गया था. इसके अलावा स्टेशनरी के लिए 5,000 रुपये की जगह 6,000 रुपये, निजी सहायक की सुविधा के लिए 15,000 रुपये की जगह 20,000 प्रतिमाह कर दिया गया. सूत्रों के अनुसार इसबार भी सरकारी खजाने को मिल जुलकर आपस में बाँट लेने की तैयारी हो चुकी है. सदन के मानसून सत्र में इस लूट की तैयारी को कानून का जामा पहना दिया जाएगा ..
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