“विशेष” : शिवहर सीट से छेड़छाड़ का खमियाजा पूरे बिहार में भुगतेगा महागठबंधन
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : शिवहर सीट पर रार अब सातवें आसमान पर है। कभी रॉबिनहुड, तो कभी बाहुबली, तो कभी शेर ए हिंदुस्तान और कभी प्रचंड दबंग के नाम से विख्यात पूर्व सांसद आनंद मोहन अपनी पत्नी लवली आनंद को कांग्रेस के टिकट पर शिवहर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाने की जिद पर अड़े हैं। सूत्र बताते हैं कि लवली आनंद ने शिवहर सीट से चुनाव लड़ने के करार पर ही कांग्रेस का दामन थामा था। लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद बिहार महागठबंधन के सबसे बड़े नेता तेजस्वी यादव, इस फैसले से इत्तफाक नहीं रखते हैं और वहां से राजद के उम्मीदवार को खड़ा करने की जिद पाले हुए हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव रघुवंश प्रसाद सिंह, जगदानंद सिंह, रामचन्द्र पूर्वे, अब्दुल बारी सिद्दकी से लेकर राजद के किसी बड़े नेता से ना तो कोई सलाह ले रहे हैं और ना ही उनकी कुछ सुन ही रहे हैं। राजद खेमे से आ रही सूचना के मुताबिक राजद का आंतरिक लोकतंत्र खतरे में है और हिल सा रहा है। ऐसी परिस्थिति में बीते 12 साल से बिहार के सहरसा जेल में तत्कालीन गोपालगंज डी.एम. जी.कृषनैया हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन एक मामले में सहरसा न्यायालय में पेशी के दौरान कई बड़ी बात कह गए।
सबसे महत्वपूर्ण बात उनका यह कहना था कि उन्हें कहीं से कम आंकना महागठबंधन की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि शिवहर सीट उनकी कर्मभूमि रही है। उस सीट से लवली आंनद ही चुनाव लड़ेंगी। अगर शिवहर सीट से छेड़छाड़ किया गया तो महागठबंधन को सीधे 25 और शेष 15 सीटों पर भी भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। पूर्व सांसद आआनंद मोहन ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि कांग्रेस महागठबंधन में सिर्फ 11 सीटें लेकर अपने अस्तित्व से खेल रही है। कांग्रेस के पास कई जिताऊ उम्मीदवार हैं। कृति झा आजाद पार्टी में शामिल हो चुके हैं। पप्पू यादव, पप्पू सिंह, अरुण कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, महबूब अली कैसर,सभी कांग्रेस की ओर देख रहे हैं। लवली आनंद कांग्रेस के साथ हैं। कांग्रेस को बिहार में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए। 12 सीटों पर तो कांग्रेस की वैसे जीत पक्की है। आनंद मोहन टिकट के खरीद-फरोख्त पर भी जमकर बरसे और कई सीटों को खरीदने की बात कहते हुए कहा कि शिवहर सीट खरीदने की भी कोशिश जारी है।
वे सत्ता के कुचक्र और सिंहासन के लोभियों की शाजिश की वजह से आज बेकसूर होते हुए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। इन बीते 12 वर्षों के कारावास के बाद भी बिहार सहित पूरे देश में उनका जनाधार बरकरार है। उनकी जगह कोई और होता,तो मीडिया और आमलोग उन्हें कब का भुला चुके होते और उनकी राजनीति का अवसान हो चुका होता ।लेकिन वे जनता के दिलों पर राज करते हैं। हालिया दिनों में उनके जनाधार में लगातार वृद्धि ही हो रही है। उन्होंने बेहद तल्ख लहजे में कहा कि वे कोई फुटबॉल नहीं हैं कि कोई उन्हें कॉर्नर कर दे। कोर्ट पेशी के दौरान उनके बयान से महागठबंधन के बीच खलबली मची हुई है। दीगर बात है कि लालू प्रसाद यादव ने जेल में मुलाकात के दौरान शरद यादव से कहा था कि आप महागठबंधन पर नजर रखेंगे और तेजस्वी का मार्गदर्शन करेंगे लेकिन तेजस्वी, शरद का भी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। हांलांकि कांग्रेस के शीर्ष नेता शिवहर सीट को लेकर लागातार तेजस्वी से ना केवल वार्ता कर रहे हैं बल्कि भरपूर राजनीतिक दबाब भी बना रहे हैं। यही वजह है कि अभीतक शिवहर सीट की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है।
यह सही है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन का सभी वर्ग के लोगों के बीच खासा जनाधार है। उन्हें अब कितनी राजनीतिक ख्वाहिशें है,यह हमें नहीं पता है। लेकिन हम इतना जरूर जानते हैं कि आनंद मोहन किसी भी दल और महागठबंधन को अपने जनाधार के दम से उलट-फेर का माद्दा जरूर रखते हैं। आनंद मोहन के करीबी सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक आनंद मोहन और लवली आनंद दोनों कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं और शिवहर सीट उन्हें हासिल हो, इसके लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।खास बात यह है कि कांग्रेस ने आनंद मोहन के बड़े बेटे चेतन आनंद को बिहार कांग्रेस प्रचार समिति का सदस्य भी बनाया है। आनंद मोहन सिर्फ एक सीट अपनी पत्नी के लिए चाह रहे हैं। राजद को भी अपना दिल बड़ा कर के कांग्रेस को यह सीट दे देना चाहिए, ताकि हर तरह की खीज और विरोध पर लगाम लग सके।
अगर शिवहर सीट से कांग्रेस लवली आनंद को टिकट देने में असमर्थ साबित होती है, तो आनंद मोहन समर्थक पूरे बिहार में बागी की भूमिका निभाएंगे। राजनीतिक रस्सा-कसी और कठिन दौर में राजनीतिक समीक्षक कह रहे हैं कि हम के सुप्रीमो जीतन राम मांझी, भीआईपी के मुकेश सहनी, जाप के संरक्षक पप्पू यादव और आनंद मोहन को अभी एक मंच पर आकर राजनीति की नई धरा को जन्म देना चाहिए। हांलांकि इस विषय में किसी चर्चा की हमें कोई पुख्ता जानकारी नहीं है लेकिन आनंद मोहन जेल के भीतर अभी उबल रहे हैं,इसकी हमें पक्की जानकारी है। शिवहर सीट पर अगर लवली का टिकट कन्फर्म नहीं हुआ, तो सच मानिए बिहार में एनडीए की राह काफी आसान हो जाएगी।
हमारे सर्वे के मुताबिक एनडीए बिहार में 30 से 36 सीटें जीत सकती है। बिहार सहित पूरे देश को यह पता है कि आनंद मोहन अख्खड़, जिद्दी और अपने एकल वसूल पर चलने वाले इंसान हैं। उन्होंने जेल की सलाखों को पसंद किया लेकिन किसी के सामने घूँटने नहीं टेके। जेल में रहने के बाबजूद लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान कई पार्टी के नेता सहरसा जेल पहुंचकर आनंद मोहन से बातचीत करते रहे हैं और उनसे राजनीतिक लाभ लेकर उन्हें ठेंगा दिखाते रहे हैं। लेकिन इसबार आनंद मोहन सभी राजनीतिक खिलाड़ियों पर नजर जमाये हुए हैं और उनका इस्तेमाल नहीं हो,इसके लिए सतर्क भी हैं। अभीतक की जो तस्वीर सामने है, उसके मुताबिक अगर शिवहर सीट से लवली आनंद कांग्रेस की उम्मीदवार घोषित नहीं हुईं,तो चुनाव में महागठबंधन को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट
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