मांझी की फिर से हो सकती है एनडीए में वापसी ,बेटा बन सकता है राज्य मंत्री
बेटे को दिलाना है नीतीश कैबिनेट में जगह, एक बार फिर राजद से कटने को तैयार हैं मांझी
सिटी पोस्ट लाईव : आज अपनी पार्टी के स्थापना दिवस पर दलित नेता उदयनारायण चौधरी के ऊपर हमला बोलकर पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने यह साफ़ कर दिया है कि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं. आरजेडी में उदयनारायण चौधरी को ज्यादा तरजीह दिए जाने और उनके समर्थन में शरद यादव के उतर जाने से मांझी नाराज हैं. सूत्रों के अनुसार मांझी के पार्टी के ज्यादातर नेताओं का दबाव भी एनडीए के साथ जाने को लेकर बनाया जा रहा है.मांझी के साथ जो भी बड़े नेता हैं,वो आरजेडी के साथ असहज मह्सुश कर रहे हैं.सूत्रों के अनुसार उदय नारायण चौधरी के बहाने मांझी फिर से एनडीए की तरफ जा सकते हैं.लेकिन शर्त यहीं है कि उनके बेटे को नीतीश कैबिनेट में जगह मिले और उन्हें अपनी मनपसंद लोक सभा सीट .
मांझी के ऊपर पार्टी नेताओं का दबाव तो है ही साथ ही उनके बेटे संतोष सुमन की राजनीतिक महत्वकांक्षा भी उन्हें पार्टी और गठबंधन बदलने को मजबूर कर रहा है.अपने बेटे को एमएलसी बनाने के लिए ही मांझी आरजेडी के साथ गए और अब चर्चा है कि मांझी उसी बेटे के मंत्री बनने की जीद के कारण फिर से एनडीए के खेमे में जा सकते हैं. आज भी उन्होंने एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को विधानसभा चुनावों में हार का रिकार्ड बनाने के बावजूद विधान परिषद में भेजा गया. उपहार के तौर पर कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया.जाहिर है मांझी कहना चाहते हैं कि ऐसा उनके बेटे के साथ क्यों नहीं हो सकता ?
सूत्रों से मिल रही खबर के अनुसार संतोष सुमन लगातार बीजेपी नेताओं के संपर्क में बने हुए हैं . उन्हें आश्वासन भी मिल चूका है लेकिन अभीतक डील फाइनल नहीं हुई है. अब मांझी आरजेडी से वापस एनडीए में वापस जाने की भूमिका बनाने लगे हैं .सूत्रों के अनुसार उदयनारायण चौधरी के बहाने वो भाग सकते हैं.दूसरी तरफ उपेन्द्र कुशवाहा के बारे में खबर है कि वो भी आरजेडी के कुशवाहा नेता आलोक मेहता की वजह से आरजेडी में जाने से हिचकिचा रहे हैं. उन्हें पता है कि आरजेडी मुख्यमंत्री की कुर्सी तो देनेवाला है और आशंका है कि आगे चलकर अपने सबसे भरोसेमंद नेता आलोक मेहता को आगे कर उनको हाशिये पर पहुंचाने की कोशिश हो सकती है.
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