महागठबंधन में ‘नॉट ऑल इस वेल’, कीर्ति पर ग्रहण के बाद मांझी बैठक छोड़ पटना लौटे
सिटी पोस्ट लाइव : महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर अबतक सभी घटक दलों के बीच माथा पच्ची जारी है. इस बीच बड़ी खबर सामने आई है कि महागठबंधन की सीट शेयरिंग की बैठक के बीच ही वे शायद नाराज होकर पटना रवाना हो गए. बता दें सुबह से ही सीटों को लेकर मांझी खेमे में सबकुछ कुछ ठीक नहीं दिख रहा था. मांझी की नाराजगी की खबरें सुबह से ही राजनीतिक गलियारे में टहल रही थी. इस सुबह बड़ी खबर सामने आई थी कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फार्मूला तय हो गया है और बिहार के पूर्व सीएम और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के हिस्से तीन सीटें आयी है. नालंदा, औरंगाबाद और गया की सीट जीतन राम मांझी को मिली है.
लेकिन अचानक मांझी की पटना रवानगी ने शाम होते-होते कन्फर्म कर दिया कि मांझी को ये तीन सीटें बिल्कुल रास नहीं आई है. मांझी ने दिल्ली में कहा कि हम अपने स्टैंड पर कायम हैं. कांग्रेस और आरजेडी के बाद हमें ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग पर 78-80 फीसदी काम हुआ है लेकिन 20 फीसदी काम अभी भी होना बाकी है. हमने 16 मार्च को पार्टी की अहम बैठक बुलाई है. दूसरी ओर मांझी की ही पार्टी के एक अन्य नेता और बिहार के पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कहा कि कांग्रेस और आरजेडी के बाद हमारी हैसियत अन्य सहयोगियों से बड़ी है. हम महागठबंधन में तीसरे बड़े दल है. हमें उनसे कम सीटें मिलेंगी तो हम चुनाव में नहीं जाएंगे.
वहीं महागठबंधन के सहयोगी दल वीआईपी पार्टी के मुखिया सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी ने दरभंगा सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ दी है लेकिन जिस शर्त पर दावेदारी छोड़ी है उसने दरभंगा से महागठबंधन के संभावित उम्मीदवार कीर्ति झा आजाद की उम्मीदवारी पर भी ग्रहण लगा दिया है. दरअसल हमारे पास जो सूत्रों के हवाले से जानकारी है उसके मुताबिक मुकेश सहनी ने दरभंगा सीट छोड़ने के बदले यह शर्त रखी है कि उन्हें तीन सीटें दी जाय और दरभंगा सीट राजद के खाते में दी जाए यानि साफ तौर पर तेरी नहीं तो मेरी नहीं वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए दरभंगा सीट पर अपनी उम्मीदवारी तो छोड़ी है लेकिन कीर्ति आजाद की उम्मीदवारी पर ग्रहण लगा दिया है.
आशुतोष झा की रिपोर्ट
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