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मधुबनी पेंटिंग्स की वजह से चमका रेलवे का चेहरा, लेकिन कलाकारों को नहीं दी मजदूरी

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की मधुबनी पेंटिंग की पूरे विश्व में सराहना हो रही है. मधुबनी पेंटिंग के जरिये मधुबनी रेलवे स्टेशन देश के सबसे सुन्दर रेलवे स्टेशन के रूप में सुमार तो हो ही चूका है अब मधुबनी पेंटिंग से सजी ट्रेन दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी हुई ही. इस ट्रेन की खूबसूरती देखते ही बन रही है. इसकी सराहना संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हो रही है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने मधुबनी आर्ट के साथ ही भारतीय रेल की भी प्रशंसा की है. ​मधुबनी पेंटिंग्स से जुड़े कलाकारों के साथ रेलवे के अधिकारी इस मिल रही सराहना से बहुत खुश हैं. गौरतलब है कि पिछले सप्ताह बिहार से दिल्ली जानेवाली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस जब मिथिला पेंटिंग्स से सज-धज कर निकली तो लोग देखते ही रह गये.

संयुक्त राष्ट्र संघ ने ट्वीट कर कहा कि ये भारतीय ट्रेन कितनी सुंदर व मनमोहक हैं. बिहार की महिलाओं ने ट्रेन के इन कोचों को मिथिला आर्ट से सजाया है. इस पेंटिंग को मधुबनी आर्ट के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें कलाकारों ने अपनी अंगुलियों, माचिस की तीलियों, ब्रश, नेचुरल डाई व रंगों के साथ बनाया है. यह लाजवाब है. बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन के 9 कोचों को मधुबनी पेंटिंग से गजब की खूबसूरती दी गई है. बिहार की संस्कृति को खुद में समेटे यह ट्रेन जब दरभंगा से दिल्ली के लिए निकली तो लोग देखते ही रह गये. यह ट्रेन जिस स्टेशन पर रुकी, वहां देखनेवाले यात्रियों की भीड़ लग गयी. रेल अधिकारी भी देखने के लिए जुट जाते थे.

ट्रेन पर सवार यात्रियों की खुशी की तो पूछिए मत. दरअसल ट्रेन के केवल बाहरी हिस्सों को ही नहीं सजाया गया था, बल्कि इसके अंदर के हिस्सों को भी सजाया गया था. इतने करीने से पेंटिंग्स उकेरी गई थी कि यात्रियों की नजर उससे नहीं हटती थी. ट्रेन से सफर करनेवाले बच्चे भी काफी खुश थे.

बता दें कि ‘रेल स्वच्छ मिशन’ के तहत मधुबनी रेलवे स्टेशन को भी इसी आर्ट से गजब का सजाया गया था. एक समय था जब मधुबनी स्टेशन गंदगी के लिए बदनाम था. लेकिन अब यही स्टेशन पेंटिंग के लिए पूरे देश में मिसाल बन गया है. महीनों दिन रात मेहनत कर स्थानीय कलाकारों ने मधुबनी स्टेशन को चमका कर रख दिया. मधुबनी स्टेशन को सौंदर्यीकरण के लिए अवार्ड भी मिल गया. लेकिन हैरत की बात ये है कि अपने मेहनताना के लिए कलाकारों को धरना प्रदर्शन और हंगामा का सहारा लेना पड़ा .यानी रेलवे ने कलाकारों से काम तो करवा लिया लेकिन उनको मेहनताना देने से इंकार कर दिया.

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