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मधेपुरा और मढ़ौरा कारखानों से अब तक 199 लोकोमोटिव का उत्पादन.

'मेक इन इंडिया' के तहत बिहार में स्थापित भारतीय रेल कारखाने दिखा रहे कमाल, बनाए कीर्तिमान.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार (Bihar) के मधेपुरा और मढौरा में स्थापित रेल इंजन कारखाने (Rail Engine Factory) लगातार कमाल दिखा रहे हैं.उनके द्वारा लगातार अत्याधुनिक रेल इंजनों (Rail Engine) का उत्पादन किया जा रहा है. मेक इन इंडिया‘ के तहत देश में नवीनतम तकनीक पर आधारित उच्च अश्वशक्ति इलेक्ट्रिक लोको निर्माण की दिशा में ये कारखाने मील के पत्थर साबित हो रहे हैं.पूर्व मध्य रेल में आधारभूत संरचना के विकास (Infrastructure Development) में पिछले कुछ वर्षों में काफी गति आई है. वर्ष 2014 से 2020 के मध्य एक ओर जहां यात्री सुविधा, संरक्षा, सुरक्षा के साथ-साथ आधारभूत संरचना से जुड़े कई नए कार्य प्रारंभ किए गए.इन छह वर्षों में नए कल-कारखानों की स्थापना से विश्वस्तरीय लोकोमोटिव का उत्पादन प्रारंभ होने लगा है. साथ ही आस-पास के लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं.

भारी माल यातायात के परिवहन के लिए चलने वाले मालगाड़ियों के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत लगभग 1,200 करोड़ रूपए की लागत से मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री लिमिटेड की स्थापना की गई थी. यह कारखाना उच्च गुणवत्ता और सुरक्षा के उत्ततम मानकों के साथ तैयार की गई सबसे बड़ी एकीकृत नई (ग्रीनफील्ड) यूनिट है जो ‘मेक इन इंडिया‘ का सर्वोत्तम उदाहरण है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल, 2018 को इस कारखाना में निर्मित देश के प्रथम 12,000 अश्वशक्ति (हॉर्स पावर) के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का लोकार्पण किया था. यहां से अगले 11 वर्षों में लगभग 24 हजार करोड़ की लागत से 800 इलेक्ट्रिक इंजन का उत्पादन किया जाएगा. जिनमें से अब तक 16 उच्च अश्वशक्ति इलेक्ट्रॉनिक लोकोमोटिव भारतीय रेल को अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

18 मई, 2020 को पूरी दुनिया में पहली बार, बड़ी रेल लाइन पर मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री लिमिटेड द्वारा निर्मित प्रथम शक्तिशाली विद्युत इंजन से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन से धनबाद मंडल के बड़वाडीह तक 118 डिब्बों वाली मालगाड़ी का सफलतापूर्वक परिचालन किया गया.इसके साथ ही भारत ज्यादा हॉर्स पावर के इंजन बनाने वाले प्रतिष्ठित क्लब में शामिल होने वाला दुनिया का छठा देश बन गया है. यह इंजन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इसमें लगे हुए सॉफ्टवेयर और एंटीना के माध्यम से इसके रणनीतिक उपयोग के लिए इंजन पर जीपीएस के जरिए करीबी नजर रखी जा सकती है. इस विश्वस्तरीय लोकोमोटिव की विशेषता है कि इससे मालगाड़ियों का परिचालन मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की तरह 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति से किया जा सकेगा जो दूसरे इंजनों की तुलना में लगभग दोगुनी है.

मढ़ौरा की जनरल इलेक्ट्रिक डीजल लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री की स्थापना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत  लगभग 12,000 करोड़ रूपए की लागत से हुई.नवंबर, 2015 में अनुबंध को अंतिम रूप दिया गया था और फरवरी, 2019 में यहां से प्रथम लोकोमोटिव तैयार होकर बाहर आया. इसके बाद से 1000 उच्च अश्वशक्ति डीजल लोकोमोटिव का नियमित उत्पादन प्रारंभ है. अब तक मढ़ौरा में निर्मित 183 लोकोमोटिव भारतीय रेल को अपनी सेवाएं दे रहे हैं. यहां से उत्पादित डीजल लोकोमोटिव से ग्रिड विफलता और अंतर्राष्ट्रीय रेल संपर्क बहाल करने की दिशा में भारतीय रेल के आपात एवं सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी. इस कारखाना द्वारा अगले 11 वर्षों में लगभग 20 हजार करोड़ की लागत से 1000 उच्च अश्वशक्ति का डीजल लोकोमोटिव का उत्पादन पूरा होगा.

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