मौन हैं किशनगंज के मतदाता, उपचुनाव में किसका बेड़ा होगा पार?
सिटी पोस्ट लाइवः यूंतो राजनीति को क्रिकेट की तरह अनिश्चितताओं का खेल कहा हीं जाता है लेकिन कई बार अनिश्चितताएं इतनी होती है कि आप कयास तक नहीं लगा सकते। बिहार में पांच विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं और इन पांच सीटों में से एक सीट किशनगंज की भी है। कहा जा रहा है कि यहां के मतदाता सबसे ज्यादा मौन हैं और मतदाताओं की चुप्पी इस सवाल को बड़ा बना रही है कि आखिर किशनगंज में इस बार क्या होने वाला है। अगर यहां के राजनीतिक समीकरण की बात करें तो किशनगंज विस क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में आठ प्रत्याशी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं.
अब तक के आकलन के अनुसार कांग्रेस, भाजपा व एआइएमआइएम के बीच त्रिकोणात्मक लड़ाई दिख रही है. लेकिन कांग्रेस के बागी प्रत्याशी मो इमरान भी एक कोण बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सातवें दिन यहां मतदान होना है.सभी प्रत्याशियों ने अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है. पर, मतदाताओं की चुप्पी उन्हें बेचैन कर रही है. इस कारण आनेवाले दिनों में किसकी चुनावी चाल किस करवट लेगी, यह काफी कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करता है. एनडीए में किशनगंज की सीट भाजपा को मिली है. 2015 विस चुनाव की तुलना में 2019 के उपचुनाव में 27,626 मतदाता बढ़े है. 2015 के विस चुनाव में भाजपा की स्वीटी सिंह महागठबंधन की ताकत से चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस के मो जावेद से महज साढ़े आठ हजार मतों से पराजित हो गयी थीं.
मो जावेद को को 65,926 वोट मिले थे. स्वीटी सिंह को 57,360 वोट आये. आपको बता दें कि उपचुनाव को लेकर बिहार की सियासत में खासी उथल-पुथल रही है। सीटों की खींचतान में उलझकर महागठबंधन पहले हीं बिखर चुका है। आरजेडी ने बिना सहयोगियों की राय लिये अपने प्रत्याशी उतार दिये। जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी और कांग्रेस को आरजेडी का फैसला रास नहीं आया तो उन्होंने बगावत कर दी। किशनगंज के अलावा दरौंदा, सिमरी बख्त्यिारपुर, नाथनगर और बेलहर सीट पर भी उपचुनाव हो रहे हैं। नाथनगर नगर से हम ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है जबकि सिमरी बख्तियारपुर से वीआईपी पार्टी ने अपने उम्मीदार को मैदान में उतारा है।
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