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अपनी सीट भी नहीं बचा पाए इन पार्टियों के अध्यक्ष, खगड़िया से क्यों हारे मुकेश सहनी?

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अपनी सीट भी नहीं बचा पाए इन पार्टियों के अध्यक्ष, खगड़िया से क्यों हारे मुकेश सहनी?

सिटी पोस्ट लाइवः लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने के बाद यह साफ हो गया कि बिहार में महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया है। कांग्रेस अपवाद रही जिसके खाते में किशनगंज की सीट आ गयी वर्ना न तो राजद बिहार में खाता खोल सकी और न हीं उसके दूसरे सहयोगी दल। रालोसपा, ‘हम’ और वीआईपी सरीखे पार्टियों के अध्यक्ष भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा काराकाट और उजियारपुर दोनों जगहों से हार गये। बिहार के पूर्व सीएम और ‘हम’ सुप्रीमो जीतन राम मांझी गया से हार गये और वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी खगड़िया से हारे। मोदी की तथाकथित लहर ने मुकेश सहनी सहित कई दिग्गज नेताओं के संसद में पहुंचने की महत्वकांक्षा पर पानी फेर दिया। फिलहाल अगर खगड़िया से मुकेश सहनी की बात करें तो उनकी हार बिल्कुल किसी अचरज से कम नहीं है क्योंकि उनकी जीत तय मानी जा रही थी।

खगड़िया में एनडीए के उम्मीदवार महबूब अली कैसर को लेकर लोग नाराज थे ऐसा कहा जा रहा था और उनकी पार्टी लोजपा ने भी उन्हें टिकट देने में देर की क्योंकि उनकी पार्टी भी मानती थी कि महबूब अली कैसर की स्थिति खगड़िया में मजबूत नहीं है। खुद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने सिटी पोस्ट लाइव के एडिटर इन चीफ श्रीकांत प्रत्यूष से बातचीत में कहा था कि हमने महबूब अली कैसर की स्थिति मजबूत नहीं होने के बावजूद उन्हें टिकट दिया। जाहिर है कैसर कमजोर समझे जा रहे थे इसलिए माना जा रहा था कि मुकेश सहनी आसानी से जीत जाएंगे। लेकिन जब परिणाम आया तो सहनी को करारी हार मिली थी। माना जा रहा है कि वहां का जातीय समीकरण भी मुकेश सहनी के खिलाफ गया है। दरअसल वहां मल्लाह जाति के वोटरों और यादव जाति के वोटरों के बीच एक संघर्ष रहा है। दोनों नदी के दो किनारों की तरह हैं जो नहीं मिल सकते।

इसलिए मुकेश सहनी को मल्लाहों का वोट तो मिला लेकिन तेजस्वी यादव के ताबड़तोड़ प्रचार के बावजूद वे यादव वोट नहीं बटोर पाए इसलिए उनकी हार हुई। एक और थ्योरी बतायी जा रही है। वहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में एक यादव खड़े थे जो पप्पू यादव के करीबी बताये जाते हैं। उन्होंने भी मुकेश सहनी का गणित बिगाड़ा है और यादव वोटों में सेंधमारी की है। मुकेश सहनी न सिर्फ खगड़िया से अपनी सीट हार गये बल्कि अपनी पार्टी की दो और सीट मुजफ्फरपुर और मधुबनी भी नहीं बचा सके।

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