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Execlusive : कन्हैया कुमार कुछ देर और रुक जाते तो हो जाती मॉब लिंचिंग जैसी बड़ी घटना

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Execlusive : कन्हैया कुमार कुछ देर और रुक जाते तो हो जाती मॉब लिंचिंग जैसी बड़ी घटना

सिटी पोस्ट लाइव ( सोमनाथ ) : जेएनयू के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पिछले तीन दिनों से लगातार सुर्ख़ियों में बने हुए हैं. पहले पटना में एम्स में हंगामा करने की वजह से तो फिर बेगूसराय में हुए हमला को लेकर. बिहार के बेगूसराय से 2019 लोकसभा चुनाव के संभावित उम्मीदवार कन्हैया कुमार पर 16 अक्टूबर को कन्हैया  हमला हुआ. सिटी पोस्ट लाइव के रिपोर्टर के अनुसार यह घटना पहले से सुनियोजित नहीं थी. उनके समर्थकों ने हिंसा की शुरुआत की. कन्हैया से उलझे लोगों का ही कहना है कि थोड़ी देर कन्हैया और रुकते तो वहां मॉब लिंचिंग जैसी बड़ी अप्रिय घटना हो जाती.

हिंसा के समय भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) या बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की कोई बैठक नहीं चल रही थी. लेकिन इन दोनों संगठनों के सदस्य वहां ज़रूर मौजूद थे. हिंसा की शुरुवात कन्हैया के लोगों ने की. कन्हैया के साथ लगभग 30 युवा सात गाड़ियों में थे जिनके पास हॉकी स्टिक और लोहे की छड़ें थीं. कन्हैया और दुर्गा पूजा समिति के सदस्यों के बीच करीब आधे घंटे तक जमकर मारपीट हुई. इस घटना में जख्मी हुए तीनों लोग  दुर्गा पूजा समिति से जुड़े हुए हैं. सानू कुमार का सिर फट गया जिसे भगवानपुर से बेगूसराय रेफर किया गया और वहां से बेहतर इलाज के लिए पटना भेजा गया है. गौरतलब है कि  घटना के बाद भगवानपुर थाने में कन्हैया कुमार और 30 अज्ञात समर्थकों के खिलाफ हत्या के प्रयास और दंगा फैलाने का मुकदमा दर्ज किया गया. कन्हैया कुमार का कहना है कि उन्होंने घटनास्थल से आगे निकलने के बाद बरौनी थाने में कोई एफआईआर दर्ज नहीं करवाई.

हिंसक झड़प भगवानपुर थाना के पास ही दहिया गांव के पास हुई थी. शाम 6.30 बजे के आस-पास कन्हैया सात कारों के काफिले के साथ मंसूरचक में जनसभा कर लौट रहे थे. ये जनसभा 25 अक्टूबर को पटना के गांधी मैदान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की भाजपा भगाओ, देश बचाओ रैली की तैयारी के लिए आयोजित की गई थी.अब ये जांच चल रही है कि कन्हैया के साथ घूम रहे लोगों के पास हॉकी स्टिक और लोहे के रड और लाठी-डंडे क्यों थे.

कन्हैया लौटते समय दहिया पूजा पंडाल के 40 मीटर आगे बाईं तरफ रुके.उनके साथ गाड़ियों का काफिला भी रुका. वो हीरो एजेंसी के बगल में पहली मंजिल पर बीएल शिक्षण संस्थान में किसी परिचित से मिलने गए. इसी बीच जाम लग गया. दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष और 48 वर्षों से मंदिर का रख रखाव कर रहे 72 साल के उमेश रायके अनुसार  जाम लगने के बाद कुछ युवाओं ने गाड़ियां आगे बढाने को कहा. इसी बात पर बहस शुरू हुई. उमेश राय के मुताबिक कन्हैया ने खुद दुर्गा पूजा को लेकर ऐसी बातें कहीं जिसे साझा नहीं किया जा सकता है. लोगों ने जब विरोध किया तो कन्हैया के लोगों ने हमला बोल दिया. स्थानयी दुकानदार जगदेव सिंह के अनुसार  कन्हैया समर्थकों ने कार से हॉकी स्टिक और लोहे के रड से हमला किया. किसी को निशाना बनाकर नहीं था बल्कि हमले की आशंका में वो इधर उधर रड भांज रहे थे. एक प्रत्यक्षदर्शी  सिंहेश्वर राय के मुताबिक अगर गाड़ी में बैठे लोग चले जाते तो बात नहीं बढ़ती. वो कहते हैं, “हम नहीं जानते कन्हैया कौन हैं लेकिन जवान लोग थे तो जोश में आ गए. धीरे-धीरे स्थानीय गांव के लोग जब इकट्ठा होना शुरू हुए तो दूसरा पक्ष कमजोर पड़ने लगा. उसके बाद गाड़ी में बैठ कर वो आगे गए.”

कन्हैया कुमार ने अपने द्वारा जवाबी एफआईआर दर्ज कराने की बात से  इनकार किया है. लेकिन उमेश राय बताते हैं कि छह लोगों पर बरौनी में मुकदमा हुआ है. इसमें वो खुद शामिल हैं. उमेश राय को स्थानीय लोग महंथ जी के नाम से जानते हैं. उनके अलावा मुकेश कुमार राय, सानू कुमार भारद्वाज, सुमित कुमार और निशांत को कन्हैया ने न सही तो उनके समर्थकों ने आरोपी बताया है.मुकेश कुमार राय भगवानपुर मंडल के भाजपा अध्यक्ष हैं. सानू भारद्वाज भारतीय जनता युवा मोर्चा और बजरंग के सदस्य हैं.सानू भारद्वाज पटना के अस्पताल में भर्ती है जिसकी सिर फट गया था. उसके अलावा सारे लोग घटनास्थल पर ही मौजूद थे. उनमें से एक निशांत अपना पैर पर जख्म के निशान दिखाते हुए कहते हैं कि उन पर हमला कन्हैया के एक समर्थक ने रॉड से किया था.

बरौनी थाने से संपर्क करने पर पता चला कि कन्हैया के किसी साथी ने एक आवेदन दिया है. इसके मुताबिक मुकेश कुमार राय ने हमले का आदेश दिया था.इस पर सुमित कहते हैं, “आदेश जैसी चीज तो लड़ाई में होती है. यहां तो किसी को पता भी नहीं था कि गाड़ी में कौन बैठा है. सारा मामला पूजा पंडाल के पास सड़क जाम को लेकर था. वो तो बाद में पता चला कि कन्हैया बैठा हुआ है.” पर सुमित और उमेश राय ने माना कि दहिया गांव के लोग बड़ी संख्या में जमा हो गए थे और थोड़ी देर कन्हैया और रूकता तो बड़ी घटना हो सकती थी इससे इनकार नहीं किया जा सकता.

कन्हैया कुमार ने इस आरोप से साफ इनकार किया है  कि परिचित से मिलने के बाद उन्होंने दुर्गा मां या पूजा को लेकर कोई अभद्र टिप्पणी की थी. वो कहते हैं, “मैं मूर्ख हूं क्या, मैं यहां राजनीति करने आया हूं. कोई भी इस तरह की बात क्यों करेगा. मेरा तो कई पूजा पंडाल में जाने का निमंत्रण है जहां जाऊंगा. लेकिन स्थानीय युवक निशांत के मुताबिक उस पर कन्हैया समर्थकों ने रॉड से हमला किया. बकौल कन्हैया उन पर हमला करने वाले स्थानीय लोग नहीं थे बल्कि भाजयुमो और बजरंग दल के कार्यकर्ता थे जो पहले से ही वहां जमे हुए थे. हालांकि वो ये मानते हैं कि उनके काफिले को रोका नहीं गया था बल्कि उन्होंने ही बीएल शिक्षण संस्थान जाने के लिए गाड़ियां रुकवाई थी.

कन्हैया का कहना है कि भाजपा और दक्षिणपंथी संगठन उन्हें जान से मारना चाहते हैं और ये हमला उसी साजिश का हिस्सा था. दूसीर ओर स्थानीय भाजपा नेता मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि कन्हैया चुनाव से माहौल बनाने के लिए टुच्ची हरकतें कर रहे हैं ताकि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस में संदेश जाए कि कन्हैया भाजपा से जमीन स्तर पर लड़ रहा है.दहिया में जिस जगह कन्हैया समर्थकों और स्थानयी लोगों में झड़प हुई वहां से कन्हैया के घर की दूरी महज 15-17 किलोमीटर है. कन्हैया का घर बीहट में हैं जो बेगूसराय के तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र में आता है.जबकि जहां घटना हुई वो इलाका बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में आता है जहां से कांग्रेस के रामदेव राय विधायक हैं. इससे पहले 1985 के विधानसभा चुनाव से ही यहां कम्युनिस्टों का दबदबा रहा है. सीपीआई के अवधेश राय तीन बार यहां से विधायक रहे हैं.

बेगूसराय की जिन सात में पांच विधानसभा सीटों पर सीपीआई मजबूत रही है उनमें से एक सीट बछवाड़ा भी है. यहां भूमिहार जाति का वर्चस्व है. संयोग से कन्हैया कुमार भी भूमिहार जाति से हैं. हालांकि अवधेश राय और रामदेव राय दोनो ही यादव जाति से आते हैं. ये ऐसा इलाका है जहां भूमिहार और यादव यानी ग्वाला दोनों राय सरनेम लगाते हैं.लोकसाभ क्षेत्र की दृष्टि से ये भूमिहारों का गढ रहा है. सीपीआई के कई कद्दावर नेता इसी जाति से हैं. दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके सीपीआई के कद्दावर नेता शत्रुघ्न सिंह भी इसी जाति से हैं. घटास्थल पर मौजूद लोगों ने कहा कि कन्हैया का जेएनयू स्टाइल यहां नहीं चलेगा. एक बुजुर्ग बताते हैं – शत्रुघ्न बाबू का ये पंसगा भी नहीं है, अगरे ऐसी ही सड़क छाप गुर्गों के साथ रहा और हरकतें जारी रही तो जमानत जब्त हो जाएगी.

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