सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजधानी पटना के सरकारी अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर की पिटाई के विरोध में आज दूसरे दिन भी पटना के सरकारी अस्पताल के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं.जो मरीज पहले से ईन अस्पतालों में भर्ती हैं उनकी जान सांसत में है. इलाज के अभाव में अबतक 6 मरीजों की मौत हो चुकी है.गुरुवार को एनएमसीएच और पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर के हड़ताल की वजह से अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई.सिटी पोस्ट लाइव ने आज सुबह ही अपने पाठकों को आगाह किया था कि अगर इमरजेंसी केस हो तो पटना के सरकारी अस्पतालों में नहीं जाइए क्योंकि वहां आज आपका ईलाज नहीं होगा .आपकी जान चली जायेगी .आज नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ऐसा ही हुआ है.एक बच्ची ईलाज नहीं होने कारण अस्पताल की गेट पर ही मर गई . पीएमसीएच में अबतक 6 मरीजों की मौत हो चुकी है .
एनएमसीएच में आज दूसरे दिन भी जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल जारी रहा है. वहीं हड़ताल के दौरान एक बच्ची की मौत हो गई. मृत बच्ची के पिता विनोद मालाकार ने बताया की कल शाम 7 बजे 8 वर्षीय वैष्णवी कुमारी को बिछा काट लिया था, जिसे इलाज के लिए एनएमसीएच में लाये थे. यहां आए तो करीब 2 घंटा मरीज का पुर्जा कटवाने में लग गया. बाद में बहुत भाग दौर करने के बाद पुर्जा कटा तो जैसे तैसे बच्ची का इलाज चल रहा था.
आज जब सुबह गुरुवार को एक बच्ची को लेकर उसके परिजन एनएमसीएच पहुंचे .बच्ची को बिच्छू ने डंक मार दिया था.परिजन जब अस्पताल उसे लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने ईलाज करने से मना कर दिया. डॉक्टरों ने यह कहकर ईलाज से मन कर दिया कि हड़ताल चल रहा हैं.बच्ची के परिजन हाथ जोड़ते रहे लेकिन डॉक्टर नहीं मने . कुछ ही देर बाद डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया. विनोद मालाकार धनरूआ थाना के पास ओखरी बहरामपुर गांव से इलाज के लिए आए थे. ईलाज के अभाव में बेटी तो मर ही गई बेटी के मर जाने के बाद उसके शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिला.अपने कंधे पर बच्ची के दादा दादा उसे लेकर एनएमसीएच परिसर से मेन गेट तक पहुंचे. वहां से ऑटो रिक्शा से अपने गांव लेकर गए.
इमरजेंसी और ओपीडी दोनों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इस वजह से मरीज और उनके परिजनों को काफी परेशानी हो रही है. इलाज के लिए दूसरे जिलों से आए मरीज डॉक्टरों की हड़ताल से काफी आक्रोशित हैं.बच्ची की मौत के बाद भी लोगों ने खूब हंगामा किया. एनएमसीएच के अधीक्षक का कहना है उन्हें बच्ची की मौत की जानकारी ही नही हैं. एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों ने एनएमसीएच के हर वार्डों में घूम-घूम कर इलाज को बंद कर के और मरीजों को अस्पताल से जाने के लिए दबाव बना रहे हैं.
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