गुप्तेश्वर पांडेय, महानिदेशक, बिहार पुलिस अकादमी एवं बिहार सैन्य पुलिस
सिटी पोस्ट लाइव : आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्र से दशकों पुराना परिचय है। लगभग दो ढ़ाई वर्ष पहले बेगूसराय में आरक्षी अधीक्षक के रूप में पदस्थापना हुई थी। उस धरती से हमें काफी ऊर्जा मिली। ल़क्ष्मीकांत मिश्र जी की जन्मभूमि इसी जिले के साम्हों दियारा में है। वे मुंगेर से अग्रसर नामक साप्ताहिक अखबार के संपादन के साथ-साथ विभिन्न समाचार पत्रों में लिखते थे। उस दौर में राज्य के अनेक जिलों से छोटे-छोटे समाचार पत्रों का प्रकाशन होता था। अग्रसर कई मायनों में अलग था। संपादन कौशल, वैचारिक दृष्टिकोण आदि से काफी महत्वपूर्ण था। पत्र के दृष्टिकोण से ही पता चला कि वे एक लेखक, शिक्षाविद्, पत्रकार, विद्वान और समाज सुधारक थे। समय-समय पर उनके सुझाव भी मिलते थे, जो काफी महत्वपूर्ण था। इस नाते मैं उन्हें अपना अभिभावक मानता था और वे वैसा ही स्नेह देते थे।
मुंगेर में जब आरक्षी उपमहानिरीक्षक पद पर पदस्थापना हुई तो उनसे लगातार मिलना होता था। वे मुंगेर जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी थे। इस नाते साहित्यिक कार्यक्रमों में आमंत्रित करते थे और और अनेक जगहों पर तो मंच भी साझा करने का मौका मिला। उन्हीं दिनों एक ओडियो कैसेट मैं तेरी भारत माता टी सिरिज से आयी थी। उन्होंने देखते ही तुरंत टिपप्णी की कि यह समय की मांग है। शुद्ध और साहित्यिक, पर सरल हिन्दी उनकी पत्रकारिता की खासियत थी। सच्ची पत्रकारिता के मायने क्या हैं यह श्री मिश्र जी से सीखा जा सकता है। पत्रकारिता के लिए उनका योगदान त्याग और प्रयास पत्रकारिता जगत के लिए गौरव है। आज की पत्रकारिता जो तकनीकी से तो बढ़ रही है लेकिन सीढि़यों से लुढ़ककर नीचे की ओर धराशायी हो रही उसमें श्री मिश्र जी को देखते हैं तो पाते हैं कि उनकी पत्रकारिता स्पष्टता और अपनी धार के लिए जानी जाती है।
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