दरौंधा सीट से JDU के हार का मतलब, नीतीश से फरियाना चाहती है BJP
सिटी पोस्ट लाइव : सिवान जिले के दरौन्धा से JDU प्रत्याशी की हार केवल मामूली हार नहीं बल्कि JDU के लिए एक सबक है. इसमे जेडीयू के लिए एक बड़ा संदेश छिपा है. संदेश ये है कि बीजेपी हाईकमान भले नीतीश कुमार के नेत्रित्व में आगामी विधान सभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं लेकिन प्रादेश बीजेपी के नेता और कार्यकर्त्ता जेडीयू को शिकस्त देने में जुटे हैं. सिवान की दरौंदा विधान सभा सीट सीएम नीतीश के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई थी. जेडीयू ने सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था.अजय सिंह की उम्मीदवारी का स्थानीय स्तर पर भारी विरोध हुआ था.सहयोगी पार्टी बीजेपी के नेता खुलेआम जेडीयू कैंडिडेट का विरोध कर रहे थे।बताया जाता है कि बीजेपी के जिलास्तर के नेताओं के विरोध के पीछे पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की मौन सहमति थी.
पार्टी के जिला उपाध्यक्ष और जिले के कद्दावर नेता कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह ने निर्दलीय नामांकन भी दाखिल करके जेडीयू की हार तय कर दिया था. उनके पक्ष में बीजेपी के कई स्थानीय नेता अपरोक्ष रूप से प्रचार भी करते रहे.लेकिन बीजेपी ने केवल दिखाने के लिए उन्हें निलंबित करने की कारवाई की.उन्हें पार्टी से निकालने की कारवाई नहीं की. सुशील मोदी ने अपने इस नेता को पार्टी से निष्काषित करने की धमकी तक दे दी. बीजेपी नेतृत्व ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निकाल भी दिया.लेकिन वो बतौर निर्दलीय बीजेपी के बागी नेता चुनाव में डटे रहे.रिजल्ट सामने है और निर्दलीय प्रत्याशी कर्णजीत सिंह ने सीएम नीतीश के खास अजय सिंह को दरौंदा के रण में करारी शिकस्त दे दी है.
गौरतलब है कि दरौंदा सीट को लेकर बीजेपी-जेडीयू में पहले से ही घमशान चल रहा था.बीजेपी दरौंदा सीट की मांग कर रही थी लेकिन पार्टी ने बीजेपी की मांग को ठुकरा कर अपना उम्मीदवार दे दिया था.जेडीयू के इस निर्णय से बीजेपी नेताओं को तो झटका लगा ही था स्थानीय कार्यकर्त्ता और नेता बेहद नाराज थे. पार्टी के पूर्व सांसद ने तो अपने गठबंधन के उम्मीदवार को खिलाफ मोर्चा खोल दिया.ये हार जेडीयू के लिए बहुत मायने रखती है क्योंकि इससे ये संदेश मिलता है कि पार्टी आलाकमान चाहें जो भी दावा करे बिहार बीजेपी के नेता कार्यकर्त्ता और समर्थक सबसे पहले जेडीयू से फ़रिया लेना चाहते हैं.
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