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अनुपातिक आधार पर मोदी मंत्रिमंडल में JDU को इसबार भी नहीं मिलेगी जगह?

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सिटी पोस्ट लाइव : पीछली बार जब modi सरकार बनी तो JDU को एक मंत्री बनाए जाने का ऑफर BJP की तरफ से मिला. तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से ये कहते हुए मना कर दिया था कि ‘‘सांकेतिक भागीदारी की कोई जरूरत नहीं है, भागीदारी करेंगे तो कोई आनुपातिक होना चाहिए. दो साल बाद एक बार फिर मोदी मंत्रिमंडल विस्तार होने जा रहा है.JDU ने साफ़ कर दिया है कि इसबार वह इसमें शामिल होगी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल क्या उसे इसबार मोदी आनुपातिक भागेदारी देने को तैयार होगें?

वर्तमान में जेडीयू के 16 सांसद हैं ऐसे में संख्या बल के आधार पर दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का दावा बनता है. हालांकि 2019 में 303 सीटों के साथ बीजेपी अकेले पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में है, यही वजह है कि 2019 में सहयोगी दलों को बीजेपी ने मंत्रिमंडल में सांकेतिक हिस्सेदारी दी थी. लेकिन 2019 में सांकेतिक हिस्सेदारी को जेडीयू ने ठुकरा दिया था.राजनीतिक जानकारों के अनुसार JDU इसलिए शामिल नहीं हुआ क्योंकि नीतीश कुमार को इस बात का डर था कि दो प्रमुख दावेदार आरसीपी सिंह और ललन सिंह में से जिसको मंत्री नहीं बनाया जाएगा वो नाराज हो जाएगा. इसीलिए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला लिया गया.

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने लगातार दूसरी बार मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलने का दावा किया लेकिन इस बार उन्होंने अनुपातिक भागेदारी का सवाल नहीं उठाया. उन्होने कहा कि हरेक चीज में फॉर्मूला नहीं होता है. अलग-अलग परिस्थिति होती है. उसके अनुरुप फैसला लिया जाता है. यहां तक कि आरसीपी सिंह ने संख्या बल की सोच को अव्यावहारिक बताते हुए इसे रिश्ते में तनाव पैदा करने वाला बता दिया. जेडीयू कोटे से कौन मंत्री बनेगा और क्या आरसीपी सिंह मंत्री बनेंगे इस सवाल को आरसीपी सिंह ने नीतीश के अधिकार क्षेत्र की बात कहकर जबाब टाल दिया. आरसीपी सिंह के बयान पर विपक्ष जहां चुटकी ले रहा हैं, वहीं बीजेपी जेडीयू के मंत्रिमंडल में शामिल होने की बात तो कह रही है लेकिन संख्या बल के आधार पर आरसीपी के बयान का ही हवाला देकर संख्या बल के आधार को खारिज कर रही है, तो सवाल है कि क्या दो साल पहले सांकेतिक भागीदारी वाले ऑफर को ठुकराने वाले जेडीयू को इस बार मंत्री पद की कुर्सी के लिए हर फार्मूला स्वीकार है?

गौरतलब है कि आरसीपी सिंह का नाम 2019 से ही मंत्री पद के लिए चल रहा है हालांकि आरसीपी सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके हैं .लेकिन ये बात उन्हें मंत्री बनने से नहीं रोक सकती है, ऐसे में इस बार भी जेडीयू कम से कम दो कैबिनेट मंत्री से कम पर नहीं मानेगा. राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा है उसके मुताबिक आरसीपी सिंह, ललन सिंह के साथ साथ पूर्णिया के सांसद संतोष कुशवाहा भी राज्य मंत्री बन सकते हैं.पीएम मोदी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें ऐसे सहयोगियों की मंत्री के रूप में जरूरत है जो अपना काम मुश्तैदी से कर सकते हैं. जहां जिनका काम-काज संतोषजनक नहीं था उन्हें ड्रॉप भी किया गया, जिनका काम सराहनीय था उन्हें राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रमोशन भी मिला.

केंद्र सरकार में अधिकतम 83 मंत्री हो सकते हैं, पर कभी भी मोदी ने किसी को खुश करने के लिए मंत्रियों की बड़ी जमात खड़ी नहीं की. अभी भी मोदी सरकार में 24 और नए मंत्री शामिल करने की गुंजाइश है.मोदी सरकार में फिलहाल 21 कैबिनेट मंत्री, नौ राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 29 राज्य मंत्री हैं, हालांकि अलग-अलग राज्यों में बीजेपी के कई चेहरे, जिसमें दूसरी पार्टी से आए नेता भी शामिल हैं, वो भी मंत्री पद की रेस में हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या इस बार जेडीयू को सांकेतिक भागीदारी से संतोष करना पड़ेगा या संख्या बल के आधार पर भागीदारी मिलेगी?

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