धर्म विशेष को निशाने पर लेकर देश में कराई जा रही है NRC मंजूर नहीं
IB या BSF में मुसलमान कम हैं फिर पाक और बंगलादेशी घुसपैठिए कैसे भारत में आ जाते हैं.
धर्म विशेष को निशाने पर लेकर देश में कराई जा रही है NRC मंजूर नहीं
सिटी पोस्ट लाइव :एकबार फिर से JDU के एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी चर्चा में हैं. इसबार उन्होंने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के मुद्दे को लेकर सवाल खड़े किए है. पार्टी के मुस्लिम चेहरा और विवादित बयानों को लेकर हाल के दिनों में सुर्खियों में रहे बलियावी (Baliyawi) ने कहा कि अगर किसी धर्म विशेष को निशाने पर लेकर देश में NRC कराई जा रही है तो ये मज़ाक़ है. उन्होंने कहा कि रही बात बिहार के पूर्णिया (Purnia), कटिहार (Katihar), किशनगंज और अररिया की तो हमें नहीं लगता कि वहां रहने वाले किसी शख्स का पैर इस मसले को लेकर कांप रहा है.
बलियावी ने कहा कि बिहार ही नहीं पूरे देश में एनआरसी लागू होना चाहिए लेकिन यह भी तय करना होगा कि जो अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश या सिंध से आए हैं उन्हें भी उनके देश भेजा जाए. उन्होंने कहा कि देश की सरहदों पर मुसलमानों की संख्या ना के बराबर है. चाहे IB या BSF का मामला हो मुसलमान हर जगह कम हैं फिर पाकिस्तान और बंगलादेश से घुसपैठिए कैसे आ जाते हैं. उनको मार कर गिरा क्यों नहीं देते. क्या उनको मारने में हाथ कांप रहे हैं.
बलियावी ने कहा कि मैं कहता हूं कि अगर उनमें ये क्षमता नहीं है तो मुसलमान के बच्चों को छूट दो वो घुसपैठियों को सबक़ सीखा डालेंगे. बलियावी ने बिहार के सीमांचल और झारखंड के कुछ क्षेत्र में NRC के मुद्दे पर कहा कि हम तो पूरे देश में चाह रहे हैं फिर देश के कुछ नेता भाग क्यों रहे हैं. क्या उनको सिर्फ किशनगंज, पूर्णिया, पाकुड़ ही दिख रहा है ? बलियावी के इस बयान से साफ़ है कि जेडीयू और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर आपस में ठन गई है.
आरएसएस के विचारक रहे भाजपा के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने बिहार के सीमावर्ती इलाके में एनआरसी की मांग कर दी. उन्होंने कहा कि बिहार के सीमावर्ती जिलों में जिस प्रकार आबादी बढ़ती जा रही है, इससे साबित होता है कि यहां पर बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक आकर बस गए हैं.जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है और किसी भी हाल में देश के नागरिकों को बाहर नहीं भेजना चाहिए. जेडीयू नेता ने दो टूक लहजे में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी का गठन सिर्फ असम के लिए किया था इसलिए इसे बिहार या अन्य राज्यों में फैलाने की जरूरत नहीं है.
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