सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा में सोमवार को सीएम नीतीश कुमार और स्पीकर के बीच लखीसराय की घटना को लेकर सियासी बहस हुई थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान के बाद जेडीयू के प्रवक्ता और तमाम नेता उनके पक्ष में सोशल मीडिया पर काफी सक्रीय हो गए हैं. पार्टी के प्रवक्ता निखिल मंडल, अभिषेक झा, अंजुम आरा सहित कई नेताओं ने इस सियासी बहसबाजी के कुछ देर बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट डालना शुरू किया जिसमें कहा गया है कि ना किसी को फंसाया जाएगा और न किसी को बचाया जाएगा. साथ ही साथ इस बात का ख्याल रहे कि संविधान, स्वाभिमान, अधिकार और स्वाभिमान का हनन, नही होगा सहन.
जेडीयू के प्रवक्ताओं के पोस्ट करने के साथ ही यह मैसेज वायरल हो गया कि पार्टी इस मामले में पीछे नहीं हटने वाली.
निखिल मंडल ने हालांकि इस मैसेज को आज की घटना से अलग बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह हमेशा से काम करने का तरीका है. साथ ही स्पष्टता रही है कि बिहार में संविधान और स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया जाता. न किसी को फंसाया जाता है, और न ही बचाया जाता है. जेडीयू के प्रवक्ता भले ही इस बात को खुलकर कहने से बच रहे पर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सोमवार को विधानसभा में हुई घटना के बाद जेडीयू ने यह आक्रामक नीति अपनाते हुए स्पष्ट संकेत दिए हैं कि सीएम नीतीश कुमार के कामकाज के तरीकों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
दरअसल सोमवार को सदन में तमाम सदस्य तब चौंक गए जब लखीसराय में आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई और कुर्की-जब्ती का सवाल आते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भड़क गए. सीएम ने स्पष्ट कहा कि सदन नियम से चलेगा, ऐसे नहीं चलेगा. जांच की रिपोर्ट कोर्ट में पेश होगा न कि सदन में. सदन में कोई भी सवाल पूछा जाएगा, हम उसका जबाब देने को तैयार हैं पर ऐसे बार-बार एक ही बात न पूछा जाए.फिर क्या था विधानसभा अध्यक्ष ने जवाब देते हुए कहा कि आप लोगों मे ही मुझे स्पीकर बनाया है. पुलिस के द्वारा लखीसराय की घटना पर खानापूर्ति की जा रही है. जहां तक संविधान की बात है तो मुख्यमंत्री हमसे ज्यादा जानते हैं. मैं आपसे सीखता हूं. जिस मामले की बात हो रही है उसके लिए तीन बार सदन में हंगामा हो चुका है. मैं विधायकों का कस्टोडियन हूं. मैं जब भी क्षेत्र में जाता हूं तो लोग सवाल पूछते हैं कि थाना प्रभारी और डीएसपी की बात नहीं कह पा रहे हैं.