चुनावी साल में जेल लालू यादव के लिए वरदान या अभिशाप, जानिए सच्चाई
सिटी पोस्ट लाइव :चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव लम्बे समय से बीमार चल रहे हैं.रांची रिम्स में उनका ईलाज चल रहा है.सजा होने के बाद पार्टी की कमान उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथ में है. तेजस्वी उनकी उम्मीदों पर खरा भी उतर रहे हैं. वो लालू यादव से ज्यादा गंभीर हैं, ज्यादा उर्जावान हैं और सबसे बड़ी बात पार्टी उन्हें लालू यादव की जगह स्वीकार कर चुकी है.लेकिन इसके वावजूद लालू यादव बिहार की राजनीति में सेंटर स्टेज पर बने हुए हैं. आज भी लड़ाई बिहार में लालू बनाम NDA ही है.जेल में रहते हुए भी लड़ाई लालू यादव ही लड़ रहे हैं और सबकी लड़ाई लालू यादव से ही है. कलतक लालू यादव को इतिहास बतानेवाले उपेन्द्र कुशवाहा को भी उनके दरबार में ही हाजिरी लगानी पड़ रही है.
तेजस्वी यादव की हाथ में पार्टी की कमान जरुर है लेकिन बड़े राजनीतिक फैसले आज भी लालू यादव ही ले रहे हैं. कौन नेता और कौन पार्टी कितना पानी में है, ये अंदाजा आज भी लालू यादव ही लगा रहे हैं. यहीं वजह है कि तेजस्वी यादव को सीटों के बटवारे पर फैसला लेने के लिए अपने घटक दल के नेताओं के साथ रांची लालू दरबार में जाना पड़ा.विपक्ष खुश हो रहा है कि चुनाव में लालू यादव जेल में रहेगें.लेकिन जेल लालू यादव के लिए वरदान साबित हो रहा है. बाहर थे तो लोगों से मिलने जुलने में ही उनका ज्यादा समय चला जाता था .लेकिन अब न्यायिक हिरासत में रांची के रिम्स हॉस्पिटल में अपना ईलाज करवा रहे हैं. आज की तारीख में कोई उनसे नहीं मिल सकता .लेकिन वो जिससे चाहें, मिल सकते हैं.
जाहिर है लालू यादव के पास चुनावी रणनीति बनाने के लिए बहुत समय है. देश दुनिया की खबरें उन्हें टीवी के जरिये मिल जाती हैं. जिससे मिलना जरुरी है, उसी से मिलते हैं. उनकी राजनीतिक सक्रियता कम करने के लिए उन्हें सप्ताह में केवल एक दिन ही मिलने का समय दिया गया है. वो भी केवल तीन लोगों से, जिसमे परिवार के सदस्य भी शामिल हैं.जाहिर है लालू कठोर बंदिश में हैं. लेकिन यहीं कठोर बंदिश उनके लिए वरदान साबित हो रही है. वो आराम से राजनीति पर बैठकर चिंतन कर रहे हैं. चुनावी रणनीति बना रहे हैं. चुनाव का ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं. जाहिर है चुनाव की तैयारी के लिए लालू यादव के पास आज सबसे ज्यादा समय है और समर्थकों को इस बात को लेकर भी कोई शिकवा शिकायत नहीं है कि वो उनसे मिल नहीं रहे हैं. नाराजगी की जगह जेल में होने की वजह से उनके प्रति सहानुभूति है. आज इस सहानुभूति की वजह से यादव समाज भावनात्मकरूप से लालू यादव की पार्टी RJD के साथ खड़ा है और यहीं NDA की सबसे बड़ी चुनौती है.
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