सिटी पोस्ट लाइव : शराबबंदी कानून के पक्ष में दिल से शायद ही नेता होगा.लेकिन किसी भी दल में शराबबंदी को वापस लेने की मांग करने का साहस नहीं है.गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) ने अपने विधायकों से भी पूछा कि शराबबंदी कानून को वापस ले लिया जाए? जेडीयू विधायकों ने एक सुर में कहा कि नहीं. इसके बाद नीतीश कुमार ने कहा कि अब इस पर अन्य दलों के विधायकों से सलाह लेंगे और पूछेंगे कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू रखा जाए या वापस ले लिया जाए. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद एक ही सवाल उठ रहा है कि क्या सीएम नीतीश ने एक सियासी चक्रव्यूह का निर्माण कर दिया है, जिसको भेदना आसान नहीं है. बीजेपी हो या आरजेडी, अगर कोई भी इसे भेदने की कोशिश करेगा, वह सियासी तौर पर फंस सकता है.
कुछ नेता शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने बिहार सरकार से पूर्ण प्रतिबंध वापस करने की मांग की है. जन सुराज यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने भी शराबबंदी कानून को रद्द करने की मांग की. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पहले से ही इस कानून के समर्थक नहीं रहे हैं. विपक्षी पार्टी बीजेपी तो पहले से ही इस कानून को असफल बताते रहती है. हालांकि वापस लेने को लेकर खुलकर बोलने की उनमे सहस नहीं है.
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पक्ष हो या विपक्ष, दबे जुबान सरकार पर हमलावर हैं. हालांकि शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग खुलकर अभी तक किसी ने नहीं की है. किसी भी पार्टी के नेता ने ये नहीं कह रहा है कि शराबबंदी कानून को वापस लिया जाए. शायद यही कारण था कि नीतीश कुमार ने सबसे पहले अपने ही विधायकों का मन टटोला और पूछ दिया कि शराबबंदी कानून को वापस ले लिया जाए.नीतीश कुमार के इस कदम से तो ऐसा ही लगता है कि नीतीश कुमार के सियासी चाल में बीजेपी और तेजस्वी फंस गए हैं. भले ही परोक्ष रूप से दोनों इस कानून का विरोध कर रहे हैं, लेकिन खुलकर कोई नहीं कहने वाला है कि कानून को वापस लिया जाए. विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि हम कानून का विरोध नहीं कर रहे हैं. तेजस्वी यादव पहले से ही कह रहे हैं कि जो पियेगा, वह मरेगा ही. ऐसे में आरजेडी शराबबंदी कानून का विरोध करेगी, सवाल ही नहीं उठता.
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