NDA का साथ छोड़ते ही बदले उपेन्द्र कुशवाहा के सुर, कई मुद्दों पर किया पलटवार
सिटी पोस्ट लाइव : राजनीति बिल्कुल IPL खेल की तरह है. जिस दल में रहेंगे उसके विपक्षी पर हमला कर जीत हासिल करेंगे. फर्क बस इतना है वहां पैसों के लिए खेलते हैं और यहां सत्ता के लिए. दरअसल कुछ दिनों पहले उपेन्द्र कुशवाहा NDA से अलग हुए हैं. अलग होते ही उनके सुर बदल गए. NDA का साथ छोड़ने के बाद रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा रविवार को केंद्र और बिहार सरकार पर जम कर बरसे. पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में कुशवाहा ने नरेंद्र मोदी से लेकर नीतीश कुमार और केंद्र से लेकर बिहार सरकार तक पर निशाना साधा. कुशवाहा ने अयोध्या राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया और कहा कि चार साल के बाद चुनाव के समय फिर से भाजपा को राम मंदिर की याद आई है. कुशवाहा ने तंज कसते हुए कहा कि वादा तेरा वादा, कहां गया तेरा वादा. उन्होंने कहा कि मंदिर के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों का बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक पर भी खाता नहीं खुलेगा क्योंकि बिहार की जनता को पढ़ाई, दवाई और कमाई चाहिए.
बता दें ये वही उपेन्द्र कुशवाहा हैं जो कुछ दिनों पहले तक नरेंद्र मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री बनाने की बात कह रहे थे, लेकिन अलग होते ही उन्हें बिहार की सभी सीटों पर हराने का दावा ठोक रहे हैं. कुशवाहा ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी से मिलकर जानना चाहता था कि जिन्होंने भाजपा से मिलने पर मिट्टी में मिल जाने का बयान दिया था प्रधानमन्त्री जी ने उनसे कैसे हाथ मिला लिया. नीतीश कुमार पर भड़के उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगर बिहार के विकास पर बात करने वाला नीच है तो नीतीश कुमार का मुझे नीच कहना मंजूर है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नैतिकता को देखते हुए मैंने पहले मंत्री पद छोड़ा और फिर NDA का साथ छोड़ा.
आपको बता दें कि उपेन्द्र कुशवाहा के महागठबंधन में जाने के कयास तेज हैं. और यह कयास उपेन्द्र कुशवाहा और कांग्रेस नेता अहमद पटेल से मुलाकात के बाद और तेज हो गये हैं. कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने शनिवार को रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा से मुलाकात की. कुशवाहा ने हाल में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ते हुए केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इस मुलाकात को बिहार में विपक्ष के महागठबंधन को मजबूत बनाने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रवक्ता फजल इमाम मलिक ने बताया कि कांग्रेस के साथ कुशवाहा की यह पहले दौर की बातचीत है और उनकी पार्टी को ‘सकारात्मक’ परिणामों की उम्मीद है.
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