सिटी पोस्ट लाइव :RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच छतीस का रिशा बहुत पहले से है. इसकी ठोस वजह भी है.ये दोनों पुराने दोस्त हैं जो एक दुसरे के सियासी दुश्मन बन बैठे हैं. नीतीश कुमार से जगदानंद सिंह के रिश्ते कैसे हैं ये सबको पता है.कहा तो ये जाता है कि वे JDU के साथ सरकार बनाने के पक्ष में भी नहीं थे.लेकिन उनकी एक न चली और सरकार बन गई. अपने पुत्र सुधाकर सिंह को नीतीश मंत्रिमंडल से हटाए जाने से और भी आहत हो गये.अपने बेटे को उन्होंने शहीद करार दे दिया था. सुधाकर सिंह ने भी कहा था- मैं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के निर्देश पर मंत्री बना था और उनके कहने पर ही पद भी इस्तीफा दिया है.
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के दबाव के बाद सुधाकर सिंह से इस्तीफा देने के लिए कहा था. जाहिर है इस मुद्दे में सीएम नीतीश कुमार का नाम भी शामिल है जिससे जगदानंद सिंह पहले तो असहज हुए और इसके बाद आहत बताए जा रहे हैं. राजनीति के जानकार बताते हैं कि बिहार के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे लालू, नीतीश और जगदानंद सिंह के बीच की सियासी समीकरण की एक बड़ी भूमिका है.वे राजद की अंदरूनी राजनीति से भी वे आहत हैं. चर्चा तो यह भी है कि वे जल्दी ही लालू यादव से मिलकर वे इस्तीफा दे सकते हैं. मगर सवाल यह कि वे ऐसा क्यों करने जा रहे हैं?
दरअसल, एक वक्त तो ऐसा भी था जब नीतीश कुमार और जगदानंद सिंह बेहद करीब माना जाते थे. पहली बार जगदानंद सिंह 1990 में लालू मंत्रिमंडल में शामिल भी इसलिए हो पाए थे क्योंकि नीतीश कुमार ने उनकी पैरवी लालू यादव से की थी. लालू मंत्रिमंडल में जगदानंद सिंह इतने पावरफुल थे कि कई विभागों का जिम्मा इनके पास था. धीरे-धीरे जगदानंद सिंह लालू यादव के इतने करीब होते चले गए कि नीतीश कुमार से उनकी दूरी बढ़ गई.जगदानंद सिंह ने विजयकृष्ण के पक्ष में चुनाव प्रचार कर नीतीश कुमार को नाराज कर दिया था.फिर उनके बेटे सुधाकर सिंह चावल घोटाले में फंसे तो जगदानंद सिंह को इसके पीछे भी नीतीश कुमार का ही हाथ दिखा.
RJD के एक नेता के अनुसार जब RJD-JDU की सरकार बनने का रास्ता साफ़ हो गया और नीतीश कुमार लालू यादव से मिलने पहुंचे तो वहां मौजूद जगदानंद सिंह कुर्सी से भी नहीं उठे.उन्हें लालू-नीतीश की दोस्ती खटक रही थी लेकिन वो कुछ कर नहीं पाये.राजनीति का तकाजा ऐसा था कि लालू यादव को जगदानंद सिंह की नाराजगी को नजर्नादाज कर नीतीश कुमार के साथ हाथ मिलाना पड़ा.जगदाबाबू को जैसे ही मौका मिला उन्होंने 20 23 में तेजस्वी यादव के सीएम बनने का एलान कर नीतीश कुमार को असहज करने की कोशिश की.
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