जगदानंद और तेजप्रताप के बीच जारी है घमाशान, तेजस्वी यादव किसके साथ?
सिटी पोस्ट लाइव :बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह (Jagdanand Singh) के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं.दोनों नेताओं के बीच छात्र संगठन के विस्तार को लेकर ठन गई है.सूत्रों के अनुसार दोनों में से कोई अपने कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं है. इस विवाद में तेजस्वी यादव के चुप्पी साध लेने से जगदानंद परेशान हैं.
तेजस्वी यादव की ‘बेरोजगारी हटाओ रैली’ के दौरान तेजप्रताप यादव ने खुले मंच से पार्टी के बड़े नेताओं को चुनौती देते हुए कहा था कि 2 दिन के भीतर वो छात्र संगठन का विस्तार कर लेंगे. उन्होंने कहा था कि उन्हें पार्टी में किसी से कोई डर नहीं है.तेजप्रताप यादव आरजेडी छात्र संगठन के संरक्षक हैं. ऐसे में वह चाहते हैं कि उनके मन मुताबिक संगठन में लोगों की नियुक्ति हो. मौजूदा छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर वो अपने पसंदीदा व्यक्ति को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं. लेकिन जगदानन्द सिंह तेजप्रताप के इस फैसले को मानने को तैयार नहीं हैं. इसी बात को लेकर सिंह और तेजप्रताप में अब ठन गई है.
तेजप्रताप यादव ने तेजस्वी की रैली से एक दिन पहले ही प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह से आरजेडी ऑफिस में करीब 1 घंटे तक बंद कमरे में मुलाकात की थी. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष से यह गुजारिश भी की थी कि वो मौजूदा छात्र अध्यक्ष सृजन स्वराज को हटाकर उनके करीबी को प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत कर दें. लेकिन सिंह ने उनकी मांग को ठुकराते हुए मौजूदा अध्यक्ष को ही रैली की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी. इसके बाद तेजप्रताप बौखला गए और उन्होंने मंच से ही जगदानन्द सिंह को खुली चुनौती दे दी कि अगले 2 दिनों के अंदर ही वो डंके की चोट पर छात्र संगठन का विस्तार कर देंगे.
रैली में ही तेजप्रताप यादव ने ये साफ़ कह दिया था कि वो सिर्फ अपने पिता लालू यादव से ही डरते हैं. तेजप्रताप यादव के इस बयान से मंच पर बैठे सारे बड़े नेता उनके इस तेवर से नाराज हो गए. हालांकि नाराजगी को तुरत भांपते हुए तेजप्रताप ने पैतरा बदलते हुए कहा कि हम लालू जी के अलावा जगदानन्द अंकल के अनुशासन से भी बहुत डरते हैं.
तेजप्रताप के इस तेवर को लेकर जगदानन्द बेहद नाराज हैं. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने तेजस्वी से मिलकर अपना रुख भी साफ कर दिया है. जगदानन्द सिंह ने कहा है कि उम्र के इस आखिरी पड़ाव में मेरी अपनी कोई निजी इच्छा नहीं है. लेकिन वो चाहते हैं कि उनकी आंख बंद होने से पहले एक बार तेजस्वी मुख्यमंत्री बन जायें.जगदानंद सिंह ने तेजस्वी यादव को समझाया कि इसके लिए पार्टी को अनुशासित रखना बहुत जरूरी है.इस अनुशासन के दायरे में सभी आते हैं. हालांकि तेजस्वी ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा आप हमारे गार्जियन और पितातुल्य हैं. आप जो भी फैसला लेंगे हमें पूरा भरोसा है वह पार्टी की मजबूती के लिए ही होगा.
ये कोई पहला मौका नहीं जब तेजप्रताप यादव ने पार्टी और संगठन में अपनी धौंस दिखाई हो. 2018 में कुछ इसी तरह से तेजप्रताप ने अपने एक चाहने वाले को प्रदेश का महासचिव बनाने के लिए तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे की कितनी फ़जीहत की थी. बाद में डंके की चोट पर तेजप्रताप ने राजेन्द्र पासवान को पार्टी का प्रदेश महासचिव भी बनवाया था. उस दौरान कई बार तो तेजप्रताप ने खुले तौर पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे रामचंद्र पूर्वे को भला-बुरा भी कहा था. लेकिन इस बार जगदानन्द पर तेजप्रताप की ना तो कोई धौंस चल रही है और ना ही उनका कोई तेवर ही काम आ रहा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह ये भी है कि जगदानन्द सिंह लालू यादव और राबड़ी देवी के सबसे विश्वत और करीबियों में से एक हैं और वह शुरू से ही बहुत सख्त नेता रहे हैं.
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