अनुशासनहीनता बनी महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती.
कांग्रेस में कुर्सी के लिए मारपीट, RJD में सुधाकर पर सवाल, JDU में उपेंद्र कुशवाहा के तेवर तल्ख.
सिटी पोस्ट लाइव :इसमे शक की कोई गुंजाइश नहीं कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार एक बैलेंसिंग फैक्टर बने हुए हैं.उनके महागठबंधन में आने से गठबंधन की ताकत बहुत बड़ी है.महागठबंधन जातीय समीकरण के हिसाब से भी NDA पर भारी है.कुछ सर्वे भी ऐसा ही संकेत दे रहे हैं.लेकिन महागठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती अनुशासन की है.महागठबंधन में शामिल बड़े दलों RJD-CONG और JDU में अनुशासन बिलकुल नहीं दिखाई दे रहा.
RJD के विधायक सुधाकर सिंह लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.पार्टी उन्हें शो कॉज नोटिस तो दे चुकी है लेकिन कोई कारवाई नहीं कर पा रही है.उनके तेवर लगातार तल्ख़ बने हुए हैं.इसी तरह से JDU के अंदर भी घमशान मचा है.JDU नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने पहले तो तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोला लेकिन आगे चलकर उनके निशाने पर पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार ही आ गये.कारण चाहे जो भी हो पार्टी अभीतक उनके खिलाफ कोई कारवाई नहीं कर पा रही है.
कांग्रेस का हाल भी बेहाल है.कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा कर रही है.लेकिन बिहार में उसकी यात्रा के दौरान लगातार कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच मारपीट हो रही है.पार्टी के बड़े नेताओं के सामने ही नेता कार्यकर्त्ता आपस में भीड़ जा रहे हैं.ऐसा लगता है कि बिहार कांग्रेस में अनुशासन कायम करना संभव नहीं.महागठबंधन में शामिल दुसरे छोटे दल सीपीआई एमएल और जीतन राम मांझी की पार्टी का स्टैंड भी महागठबंधन के अनुकूल नहीं है.वाम दल सरकार में रहते हुए भी सरकारी नीतियों का विरोध कर रहे हैं.जीतन राम मांझी तो लगातार शराबबंदी को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं.
लोक सभा चुनाव की तैयारी में सारे दल जुट गये हैं.बीजेपी अकेली है लेकिन चिराग पासवान और मुकेश सहनी उसके साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं.उपेन्द्र कुशवाहा और सुधाकर सिंह बीजेपी की मुश्किल आसान बना रहे हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन में रार मची हुई है.अनुशासनहीनता की सारी हदें नेता कार्यकर्त्ता पार कर रहे हैं.ये अनुशासनहिनता महागठबंधन के लिए चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है.
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