सिटी पोस्ट लाइव, सहरसा : आज जहाँ पुरे विश्व पैन -इलामिज्म की बात हो रही है वहीं बिहार के एक मुसलमान ने एक हिन्दू की जान बचाकर ये साबित कर दिया है कि धर्म चाहे जो भी ,सबका सार एक ही है.और वह है मानवता की रक्षा.दया भाव मानव कल्याण .सहरसा जिले का यह मुस्लिम नौजवान रोजा कर रहा है लेकिन उसने एक हिन्दू भाई की जान बचाने के लिए अपना रोजा तोड़ दिया.अपना खून देकर उसे जीवन दे दिया.खून जब एक है ,जब वह मजहब जाती के नाम पर रिएक्शन नहीं करता फिर हम क्यों भेदभाव करते हैं. ऐसे कई सवाल इस मुस्लिम नौजवान ने समाज के सामने खड़ा कर दिया है.इस मुस्लिम युवक ने धर्म से बढ़कर मानवता को तवज्जो दिया और अपना रोजा तोड़कर एक मित्र की मदद की.
यह सहरसा जिले के रहनेवाला मोहम्मद शाहब आलम मजहब के नाम पर एक दूसरे से नफ़रत करनेवालों के मुंह पर एक जोरदार तमाचा मारा है जिसकी गूंज पुरे देश में आज न कल सुनाई देगी.इसने मानवता की मिसाल पेश की है. आलम ने सिटी पोस्ट लाइव से बातचीत में बताया कि एक करीबी मित्र ने उन्हें फोन किया. उनके किसी परिजन को खून की जरूरत थी. जिसके बाद आलम ने बिना वक़्त गवाए रोजा तोड़कर अपने मित्र की मदद करने चल पड़ें. आप भी सुनिए धर्म को भूल इंसानियत को ज्यादा महत्व देने वाले इस नौजवान की बात.सिटी पोस्ट लाईव इस मुस्लिम भाई को सलाम ठोकता है और ये उम्मीद करता है कि यह मुसलमान नौजवान हिन्दू-मुस्लिम दोनों मजहब के लोगों को यह समझाने में एक दिन कामयाब होगा कि मजहब चाहे जो भी हो ,उसका धर्म केवल मानवता की रक्षा करना है…
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