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IGIMS के फीस में हो गई थी पांच गुना बढ़ोतरी, CM के हस्तक्षेप के बाद वापस हुआ फैसला

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IGIMS के फीस में हो गई थी पांच गुना बढ़ोतरी, CM के हस्तक्षेप के बाद वापस हुआ फैसला

सिटी पोस्ट लाइव :  बिहार के आईजीआईएमएस की फीस में 5 गुणा बढ़ोत्तरी को लेकर मचे हंगामे के बाद  बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता सुनील सिंह ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर इस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की थी. उन्होंने अपने पत्र में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से मामले की समीक्षा करने का आग्रह किया था.साथ ही उन्होंने अपने पत्र में यह भी कहा है कि सरकारी अस्पताल में गरीब मरीज ज्यादा आते हैं. ऐसे में फीस की बढ़ोत्तरी सही नहीं है. उन्होंने यह भी कहा है कि अस्पताल ने शासी निकाय की सहमति के बिना ही शुल्क बढ़ाया है.

उन्होंने आरोप लगाया था  कि सरकारी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान अब कार्पोरेट की राह चल पड़ा है. यहां इमरजेंसी से लेकर कई स्वास्थ्य सेवाओं का रेट पांच गुना बढ़ा दिया गया है. इमरजेंसी के आईसीयू में 11 सौ रुपए बेड चार्ज के बदले अब पांच हजार रुपए देना होगा. साधारण मरीजों के लिए यह किसी बड़े मर्ज से कम नहीं है क्योंकि आईजीआईएमएस की पहचान ही कम खर्च में प्राइवेट अस्पताल जैसी सुविधाएं देने के लिए रही है.

सूत्रों के अनुसार इस फीस बढ़ोतरी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी संज्ञान लेते हुए हस्तक्षेप किया. उनके हस्तक्षेप के बाद  पटना स्थित आईजीआईएमएस के बढ़े हुए दरों को वापस ले लिया गया है. इसके बाद अब पूर्व के दरों पर ही मरीजों को सभी सेवाएँ उपलब्ध होंगी. पहले की तरह ही अब  EDCU की 750/- ही रहेगी जबकि डिपोजिट 15000/- की रकम लगेगी. इसी तरह RED Zone  के लिए 1100/- तथा डिपोजिट 15000/- ही रहेगी. साथ ही ICU के लिए पुराना रेट 1100+1800 तथा डिपोजिट 23000/- कर दिया गया है.

गौरतलब है कि शनिवार की सुबह ही ये खबर आई कि अस्पताल प्रशासन ने इलाज के लिए फीस में 5 गुना शुल्क की बढ़ोत्तरी कर दी है. इसके साथ ही साथ इमरजेंसी ICU का बेड चार्ज भी मंहगा हो गया है. नए नियम के मुताबिक प्रतिदिन का बेड चार्ज 5 हजार रूपए मंहगा हो गया है.लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस बढ़ोतरी को वापस ले लिया गया है. हालांकि  संस्थान का कहना था कि प्राइवेट अस्पतालों ने आईजीआईएमएस को मरीजों का डम्पिंग वार्ड बना दिया था, इसलिए चार्ज बढ़ाना मजबूरी हो गया था.

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