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पिछले सरकारों द्वारा थोड़ी सी संवेदनशीलता होती तो अपूर्ण मंडल डैम का काम इतने दिनों तक नहीं लटकता

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पिछले सरकारों द्वारा थोड़ी सी संवेदनशीलता होती तो अपूर्ण मंडल डैम का काम इतने दिनों तक नहीं लटकता

सिटी पोस्ट लाइव, मेदिनीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पिछले सरकारों द्वारा किसानों को सशक्त करने के लिए जो योजना पर काम होना चाहिए था, उनका क्या रवैया रहा। उसकी गवाही दे रहे ये अपूर्ण मंडल डैम। 47 साल यानी आधी सदी तक परियोजना अधूरी लटकी थी। 1972 में इसकी फाइल चली। अटकती रही। इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां मंडल डैम सहित छह परियोजनाओं की नींव रखी। पीएम ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पांच लाभुकों को आवास की चाबी दी। 25 हजार लाभुकों को गृह प्रवेश कराया जाएगा। इस मौके पर उन्होंने कहा- जनता विकास की भागीदार है। आपके सहयोग के चलते विकास यात्रा आगे बढ़ रही है। 2019 में पहले ही सप्ताह में मैं यहां पहुंचा हूं। आपको नए वर्ष की हार्दिक बधाई देता हूं। इस धरती के वीर सपूत और बेटी को नमन करता हूं। 25000 लाभुकों को बधाई देता हूं, जो नए पक्के घर में प्रवेश कर रहे हैं।

25 किलोमीटर से अधिक पाइप लाइन बिछाई जाएगी

उन्होंने कहा- किसानों का जीवन बदलने वाली परियोजना को शुरू करने का अवसर मिला है। सिंचाई पर खर्च कम हो तो लागत कम हो जाती है। देश में सिचाई की पारंपरिक व्यवस्था से लेकर नई तकनीक को पहुंचाया जा रहा है। इस क्षेत्र के 3 लाख से ज्यादा लोगों को पीने का पानी मिलेगा। 25 किलोमीटर से अधिक पाइप लाइन बिछाई जाएगी।

पूर्व की सरकार आपकी गुनाहगार
प्रधानमंत्री ने कहा- 25 साल से योजना का काम ठप पड़ा था। आप बताइए किसी योजना का काम पूरा होने में आधी सदी का काम लगना चाहिए। सूखा प्रभावित क्षेत्र में किसानों के साथ ये लापरवाही है। किसानों के साथ ठगी और देश के इमानदार करदाताओं के साथ बेईमानी है। 30 करोड़ रुपए से शुरू होने वाली योजना के लिए अब 2 हजार करोड़ से अधिक की लागत आएगी। इसका व्यय करदाताओं को करना होगा। इसके लिए पूर्व की सरकार आपकी गुनाहगार है। उन्होंने कहा- इतने साल तक देश कैसे चला इसकी गवाही ये परियोजना है। ये परियोजना इस बात की भी गवाह है कि बिहार और झारखंड के साथ नाइंसाफी की गई। किसानों को पूर्व की सरकार सिर्फ वोट बैंक समझने वालों और हम  जो आपको अन्नदाता को मानते हैं, हमदोनों में यही फर्क है। कुछ लोग इस अवसर को इस रूप में देखेंगे कि वर्षों से लटका काम आगे बढ़ रहा है। शुरू का बिहार था जब झारखंड अलग नहीं था। अगर पहले की सरकार में थोड़ी सी संवेदनशीलता होती तो ये काम इतने दिनों तक नहीं लटका होता। और 30 करोड़ 2400 करोड़ नहीं होता।

झारखंड और बिहार के मुख्यमंत्री को दी बधाई
प्रधानमंत्री ने कहा- पानी को लेकर आसपड़ोस के राज्यों के बीच लड़ाई हो रही है। मामले सुप्रीम कोर्ट में है। आज की ये योजना देश को नोटिस करनी होगी। बिहार के मुख्यमंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री को बधाई। दोनों राज्यों की सरकार ने मिलकर समझदारी पूर्वक इस योजना को शुरू कराया।

उन्हें तो ये भी पता नहीं होगा कि कोयल योजना का नाम है या पक्षी का: पीएम
प्रधानमंत्री ने कहा- जब भी दोनों राज्यों के सांसद और मंत्री मेरे पास आए, दोनों राज्यों की समस्या एक साथ रखी। उन्होंने कहा कि देश के किसानों को लाभ मिलना चाहिए। ये आपके लिए दौड़ते रहे हैं और मुझे भी दौड़ाते रहे। डैम के साथ भारत की राजनीति को नई दिशा देने के लिए दोनों राज्यों के मंत्रियों, दोनों सरकार को बधाई। देश के किसानों को कुछ लोग कर्जमाफी के नाम पर बहला रहे। झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कभी उत्तर कोयल परियोजना का नाम भी नहीं सुना होगा। उन्हें ये भी पता नही होगा कि कोयल योजना का नाम है या पक्षी का है। समय पर ये योजना पूरा होता तो इस क्षेत्र का किसान कभी कर्जदार नहीं होता। पूर्व की सरकार ने कर्ज लेने के लिए मजबूर कर दिया। अब राजनीति करने के लिए निकल पड़े हैं। अच्छा होता कि अगर संवेदना होती तो ये योजना पूरा होता जिससे किसानों को कर्ज नहीं लेना होता।

उन्होंने कहा- साढ़े चार साल पहले जब आपने मुझे अवसर दिया तो मैंने आपसे वायदा किया था कि 2022 तक देश का गांव हो या शहर हो हर देशवासी के सिर पर पक्की छत देने का काम करेंगे। इस कोशिश में हमारी सरकार ने प्रदानमंत्री सरकार योजना शुरू की। शहर के लिए अलग और गांव के लिए अलग। जब हमने योजना शुरू कि तो सवाल उठाया गया कि आप क्या अलग करेंगे ये तो पहले से चल रही है। आप सिर्फ नाम बदल रहे हैं। शायद वे नाम बदलने से परेशान थे। देश में गरीबों को घर देने के लिए परियोजना पहले से चल रही थी। उसमें नाम की चिंता ज्यादा थी। हमने नाम से योजना नहीं बनाई। हमने प्रधानमंत्री योजना बनाई। हमने ये संदेश दिया कि नाम नहीं, काम होना चाहिए। किसी को पता नहीं जो पहले योजनाएं नाम से थी वो कहां गई।

कार्यक्रम पलामू के चियांकी हवाई अड्डा के पास हो रहा है। वहीं, मंच पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत, स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह पलामू सांसद बीडी राम, चतरा के सांसद सुनील सिंह उपस्थित हैं। उन्होंने कहा- पहले की योजना में खासदारों और चेलों को दक्षिणा नहीं मिलती थी और घर नहीं बन पाता था। चयन प्रक्रिया में दलाली होती थी। मौके पर मौजूद 25 हजार लाभुकों से सवाल किया कि क्या आपको रिश्वत देनी पड़ी है? हमारी सरकार में दलालों और बिचौलियों की कोई जगह नहीं है। नाम तय करने में वैज्ञानिक तरीका अपनाया है। 2011 तक लोग शिकायत करते थे। क्योंकि बिचौलियों के जेब में रुपए नहीं जाता था। 2011 में जनगणना के आधार पर ग्राम सभा द्वारा लाभुकों का नाम तय किया जाता है। घर आवंटन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जिसे घर मिलना है, उनका नाम ग्राम पंचायत की दीवारों पर नाम लिखा जाए। जिससे सभी को पता हो कि किसे घर मिल रहा है। पुरानी योजना से अलग एक और महत्वपूर्ण काम किया। लाभार्थी का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है। फिर लाभुक के बैंक अकांउट का सत्यापन किया जाता है। पहले की योजना में अलग-अलग बैंक अकाउंट होता था, जिसमें धांधली होती थी शिकायतें आती थी। प्रधानमंत्री ने कहा- पहले की योजना में कैसे घर बनते थे इसे सबने देखा होगा। बनने के बाद भी लाभुक नहीं जाते थे। मॉनिटरिंग का कोई पैमाना नहीं था। पहले की घरों में सिर्फ चार दीवारें होती थी। नए घरों  में सारी मूलभूत सुविधाएं होती है। शौचालय से लेकर बिजली तक। हमने घर के डिजाइन के विकल्प भी उपलब्ध कराए। कम लागत में अच्छे डिजाइन के घर हमारी सरकार लाभुकों को उपलब्ध कराती है।

आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने मध्यमवर्ग की चिंता की
उन्होंने कहा- घर की चिंता नहीं होती तो उसकी कमाई का स्तर उपर उठता है। घर के साथ रोजगार और आत्मसम्मान और अत्मविश्वास मिल रहा है। आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने मध्यमवर्ग की चिंता की। आसान किस्तों और कम ब्याज में घर के लोन मिल रहे हैं। अटल जी के सपनो के लिए केंद्र और राज्य की सरकार जुटी है। इसी का परिणाम है कि आयुष्मान योजना की शुरुआत तीन महीने पहले यहां से की गई थी। 100 दिन के अंदर सात लाख से अधिक लाभुकों को इलाज मिल चुका है। झारखंड के 28 हजार लाभार्थी की मदद हुई है। हर रोज 10 हजार लोगों को इसका लाभ मिल रहा है।

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