सिटी पोस्ट लाइव : छपरा,सीवान और बेगूसराय जहरीली शराब कांड की जांच के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम पटना पहुँच गई है.इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमाशान जारी है.सत्ता पक्ष ने आयोग की टीम के बिहार आने के औचित्य पर ऐतराज जताया है.सत्ता पक्ष ने सवाल उठाया कि ‘क्या शराब पीकर मरना मानवाधिकार का उल्लंघन है, जो आयोग इसकी जांच करेगा? जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ ने लोकसभा में कहा-’छपरा जहरीली शराब कांड की जांच, मानवाधिकार आयोग का मामला कैसे हो गया? यह तो अपराध का मामला है. केंद्र सरकार संवैधानिक संस्थाओं दुरुपयोग बंद क. आयोग, कर्नाटक की जांच क्यों नहीं किया? जहरीली शराब से सबसे ज्यादा मौतें कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गुजरात, यूपी, हरियाणा में हुई हैं.वहां आयोग की टीम क्यों नहीं गई?
वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी तथा मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री ने कहा-’आयोग की टीम बिहार क्यों आई, यह समझ से परे है.वह उन राज्यों में गया क्या, जहां शराब पीकर बिहार से बहुत ज्यादा लोग मरे हैं? बिहार में यूपी, मध्यप्रदेश, हरियाणा से सबसे ज्यादा शराब आ रही है. भाजपा नेता यहां की अपनी सरकारों को शराब भेजने वालों पर कार्रवाई करने को क्यों नहीं कह रहे हैं?’
भाजपा ने जदयू-राजद के आरोपों के जवाब में आयोग की जांच को जायज बताया है. भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने सदन में कहा-’100 से अधिक लोग मरे। ज्यादातर का पोस्टमार्टम नहीं हुआ, बेसरा नहीं रखा गया. ये मानवाधिकार उल्लंघन का गंभीर मामला है. बाल संरक्षण भी मौके पर जाए. चूंकि मरने वालों में बच्चे, दलित व पिछड़े भी हैं.’ लोजपा (रा.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने और शराब से हुई मौतों की सीबीआई से जांच कराने की बात कही। बोले-’यह हत्या है.’
पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मानवाधिकार आयोग स्वायत्त संस्था है. यह केंद्र सरकार के निर्देश पर काम नहीं करती. उसने भाजपा शासित राज्यों में भी जांच टीम भेजी है. आयोग का आना एक रुटीन प्रक्रिया है. इससे सरकार क्यों डरी हुई है? जब सरकार कुछ छिपाना नहीं चाहती, तो आयोग का राजनीतिक विरोध क्यों है?